अंगूर को किशमिश में बदले, जानिए तरीका …….
कोरोना काल में हर कोई अपने किसी ना किसी नुकसान की मार झेल रहा है …किसी का बिज़नेस डूबा, किसी ने नौकरी खोई , किसी ने अपनों को खोया ,…इसी तरह किसानो को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. चाहे वो फलो की खेती हो या फूलों की सबको भारी नुकसान हुआ है.
निर्यात और भारी मुनाफे की भावना लिए खेती करने वालों को कोरोना ने बहुत घाटा पहुंचाया है. कोरोना ने अगर सबसे ज्यादा किसी खेती को बर्बाद किया है, तो वह अंगूर की खेती है. देश के किसान अकसर काले अंगूर की खेती निर्यात के लिए करते हैं. इस बार भी किया था, लेकिन कोरोना ने सारे दरवाजे बंद कर दिए. अंगूर खेतों से निकले लेकिन बाजार तक नहीं पहुंचे. जैसे-तैसे पहुंचे भी तो औने-पौने दाम में बिके. लेकिन इसी में पुणे के एक किसान ने आपदा में अवसर ढूंढा और अंगूर को किशमिश में बदलकर अपने सभी घाटे को फायदे में बदल दिया.
पुणे के रहने वाले इस युवा किसान का नाम है रोहित चव्हाण. रोहित के मुताबिक, काले अंगूर की खेती यूरोप में निर्यात के लिए खूब की जाती है. यूरोप भेजे जाने वाले इस अंगूर पर प्रति किलो 110 रुपये तक कमाई हो जाती है. लेकिन इस बार कोरोना ने सब चौपट कर दिया. अंगूर यही के यही धरे रह गए. देस के बाजारों में भी अच्छी मांग न रही. लिहाजा 20 रुपये तक बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. रोहित ने सभी अंगूर इस रेट पर नहीं बेचे क्योंकि इससे तो लागत भी न निकलती. उन्होंने पुणे स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर ग्रेप्स की मदद ली और अंगूर को किशमिश में बहदलने का तरीका जाना.
रोहित चव्हाण के मुताबिक, उन्हें नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर ग्रेप्स से पता चला कि मौसम अनुकूल हो तो 12-15 दिन में अंगूर को किशमिश में बदल सकते हैं. इसमें सफलता मिलती है तो 250-300 रुपये किलो तक अंगूर से बनी किशमिश को बेचकर कमाई कर सकते हैं. हालांकि अनुकूल मौसम के साथ एक खास विधि अपनाई जाती है जिसका नाम है ड्राई-ऑन-वाइन विधि. इस विधि से कोई भी किसान ताजे अंगूर को किशमिश में बदल सकता है.
अंगूर को किशमिश में बदले….
अंगूर से किशमिश बनाने के लिए एक लीटर पानी में 15 मिली. इथाइल ओलियट और 25 ग्राम पोटेशियम कार्बोनेट मिलाया जाता है. इस पानी को अंगूर के गुच्छों पर छिड़का जाता है. एक एकड़ खेत में अगर अंगूर की खेती की है तो 150 लीटर पानी में 2.25 लीटर इथाइल ओलियट और 3.75 किलो पोटेशियम कार्बोनेट का मिश्रण तैयार किया जाता है. दो-तीन बाद इस मिश्रण का फिर से छिड़काव करते हैं. लेकिन दूसरी बार छिड़काव करें तो पानी में कम केमिकल मिलाएं. जैसे कि 150 लीटर पानी के साथ 1.65 लीटर इथाइल ओलियट और 2.70 किलो पोटेशियम कार्बोनेट मिलाकर मिश्रण बनाएं और गुच्छों पर छिड़काव करें.
केमिकल का होता है इस्तेमाल
अंगूर पर इथाइल ओलियट और पोटेशियम कार्बोनेट का छिड़काव करने से 12-14 दिनों में अंगूर से 16 प्रतिशत तक नमी निकल जाती है और वह किशमिश में बदल जाता है. यानी कि 12-14 दिन में अंगूर की फसल को काटकर किशमिश के रूप में उसे बेच सकते हैं. इसकी दर 250-300 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है. जबकि किशमिश न बनाकर अंगूर बेचें तो आधी कमाई भी नहीं होगी. बाजार में अच्छा अंगूर 100-150 रुपये किलो खुदरा में मिलता है. इसका मतलब हुआ कि थोक में काफी कम रेट पर व्यापारी उठाते होंगे. किशमिश के साथ ऐसी बात नहीं है. कीमतें गिरती हैं लेकिन तेजी से नहीं.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा उत्पादन
कोरोना के चलते जिन किसानों ने अपने अंगूर की अच्छी बिक्री नहीं की, अब वे किशमिश बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. चूंकि अंगूर से किशमिश बनाने का काम अपने हाथ में है, इसलिए किसान इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं. इस बार कोरोना का सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र में देखा गया जिसका असर अंगूर और किशमिश बाजार पर भी पड़ा है. देश का 81 प्रतिशत तक अंगूर महाराष्ट्र में पैदा होता है. महाराष्ट्र में लॉकडाउन के चलते किसानों को भारी घाटा हुआ है. अब वे इसकी भरपाई किशमिश से करना चाहते हैं. किसानों ने पैकेजिंग का काम लगभग पूरा कर लिया है. मार्केट धीरे-धीरे खुल रहे हैं जिसका फायदा उन्हें किशमिश के व्यापार में मिल सकता है.