ऋषिकेश का एक ऐसा मंदिर जहां 108 परिक्रमा करने से प्राप्त होता है श्री बदरीनाथ दर्शन के समान पुण्य ।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है। सभी प्रकार मांगलिक कार्य इसी दिन पूर्ण किए जाते। आज श्रद्धालुओं ने भरत मंदिर मे विराजमान भगवान विष्णु के दर्शन कर 108 परिक्रमा की।
मंगलवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु जहां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर गरीबों में दान पुण्य किया, वही ऋषिकेश के ग्राम देवता भरत मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की 108 परिक्रमा कर सुख शांति की कामना की।भरत मंदिर में मंगलवार की सुबह 4:00 बजे से परिक्रमा करने के उपरांत नगर के धार्मिक संस्थाओं द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।
भगवान गिरी आश्रम के पीठाधीश्वर बाबा भूपेंद्र गिरी का कहना था कि सनातन धर्म में वैशाख मास का काफी महत्व है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। आज के दिन जो भी भरत मंदिर में विष्णु भगवान की मूर्ति के 108 परिक्रमा करता है उन श्रद्धालुओं श्री बद्रीनाथ के दर्शनों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। यह पर्व शोभन, मातंग और लक्ष्मी योग में मनाया जा रहा है । मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया तिथि को ही सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था, द्वापर युग का अंत हुआ था और अक्षय तृतीया को ही कलयुग का प्रारंभ हुआ था. इस लिए इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है.अक्षय तृतीया का पर्व बेहद शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है।इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है।
आइए जानते है भरत मंदिर के बारे में
भगवान विष्णु को समर्पित यह प्राचीन मन्दिर इस क्षेत्र के सबसे पुराने मन्दिरों में से एक है। मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के अंदर भगवान विष्णु की एक मूर्ति स्थापित है। जो शालिग्राम पत्थर के एक ही टुकड़े से बनी हुई है।
शालिग्राम के यह पत्थर नेपाल के गंडकी नदी में पाये जाते है। जिसको हिन्दुओं द्वारा पवित्र और भगवान विष्णु का प्रतिरूप माना जाता है। इस मंदिर में नौ त्रिभुजों वाले श्री यन्त्र को जगतगुरु शंकराचार्य ने स्वयं स्थापित किया था। सन 1398 में इस मंदिर को मुस्लिमो द्वारा आक्रमण कर इसे नष्ट कर दिया गया था। बाद में मन्दिर के बचे हुए टुकड़ों से ही इसका पुनः निर्माण किया गया। ऐसा कहा जाता है की मंदिर में खुदाई के समय कई प्राचीन मूर्तियाँ, सिक्के और बर्तन निकले थे।