आईएएस अधिकारी राम विलास यादव सस्पेंड के बाद गिरफ्तार

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देहरादूनः उत्तराखंड शासन से बड़ी खबर आ रही है। विजिलेंस टीम ने आईएएस अधिकारी राम विलास यादव को गिरफ्तार कर लिया है। राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव पद पर तैनात थे।इससे पहले शासन ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बुधवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। निलंबन से कुछ ही देर बाद उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

रिपोर्टस के अनुसार आइएएस राम विलास यादव के खिलाफ आय से 500 गुना ज्यादा संपत्ति एकत्र करने के मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया है और इसकी जांच चल रही है। विजिलेंस के छापे में तमाम संपत्तियों का खुलासा भी हुआ है। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट भी गए थे। लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली।

आइएएस राम विलास यादव कल हाईकोर्ट के आदेश के बाद विजिलेंस दफ्तर पहुंचे थे। जहां उनके द्वारा अपना पक्ष रखा गया और लंबी पूछताछ के बाद देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आईएएस को रात 2 बजे विजिलेंस की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि वे 200 दस्तावेज लेकर विजिलेंस दफ्तर पहुंचे थे। लेकिन रामविलास यादव पूछताछ के दौरान 80 फीसदी प्रश्नों का संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए।

आपको बता दें कि दो दिन पहले ही उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक के मामले पर सुनवाई की और विजिलेंस के सामने पेश होने को कहा था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 जून को आज होनी थी लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

गौरतलब है कि बुधवार शाम को शासन ने आईएएस को सस्पेंड करने के आदेश जारी किए थे। आदेश में लिखा था कि यादव के विरूद्ध यहां सतर्कता विभाग द्वारा दर्ज आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच में उनके अपेक्षित सहयोग न करने तथा अखिल भारतीय सेवाओं की आचरण नियमावली के संगत प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए अनुशासनिक कार्यवाही प्रस्तावित है।

आदेश के अनुसार, ये आरोप इतने गंभीर है कि उनके सिद्ध होने की दशा में अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। फिलहाल आईएएस को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ करने की राज्यपाल ने स्वीकृति प्रदान कर दी है ।,

निलंबन की अवधि में यादव प्रदेश के कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के सचिव के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे। राम विलास यादव पहले उत्तर प्रदेश के लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव रह चुके हैं। लखनऊ के ही एक व्यक्ति ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत दर्ज कराई थी जिसके आधार पर उत्तराखंड के सतर्कता विभाग ने जांच शुरू की थी।