आखिर क्यों हारे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं। धामी वर्तमान में उत्तराखंड के सीएम थे साथ ही खटीमा से चुनाव लड़ रहे थे। उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी एक चर्चित और युवा चेहरा के रूप में उभरकर सामने आए थे। लेकिन वोट की चोट से धराशाई हो गए। अब देखना होगा की बीजेपी हाईकमान उन्हें मुख्यमंत्री बनाता है या नहीं।
उधम सिंह नगर की सबसे चर्चित सीट खटीमा जहां से बीजेपी के सीएम पुष्कर सिंह धामी चुनावी मैदान में हैं वो पार्टी के हाथ से निकलती दिख रही है। यहां पर पुष्कर सिंह धामी को करीब 5180 वोटो से कांग्रेस को भुवन चंद कापड़ी हरा दिया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की बहुमत के साथ जीत हो रही है। यह उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि कोई पार्टी लगातार दूसरी बार प्रदेश में सरकार बनाएगी। लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथ निराशा लगी है। खटीमा विधानसभा सीट से धामी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। उनको कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने छह हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। इसके बाद अब फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बदले जाएंगे।
भुवन चंद कापड़ी युवा नेता हैं और उत्तराखंड के कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। युवाओं के बीच लोकप्रिय भुवन चंद कापड़ी उत्तराखंड यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस में जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी रह चुके हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन महज 2709 वोट से हारे गए थे। भुवन कापड़ी को 26,830 वोट मिले थे, जबकि पुष्कर सिंह धामी को 29,539 वोट हासिल हुए थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने छह माह के काल में खटीमा में पूर्व में प्रस्तावित कामों को जहां तेजी से संपन्न कराया, वहीं नए काम भी प्रस्तावित किए। मगर यह काम 2022 के चुनाव में मुख्यमंत्री के काम नहीं आए। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए प्रमुख पांच कामों में चकरपुर में स्टेडियम का शिलान्यास, पूर्व सैनिकों के लिए सीएसडी कैंटीन, जनजाति के विद्यार्थियों के लिए एकलव्य विद्यालय, एनएच 125 बाईपास का निर्माण,रोडवेज बस स्टेशन का लोकार्पण काम हैं। इसके अलावा शहर में सीवर लाइन, नालों को बंद कर उसके ऊपर से सड़क बनाना, नगर का सौंदर्यीकरण शामिल है।
हार की मुख्य वजहें
– किसान आंदोलन
-जातीय समीकरण में फेल
-चनुाव में नामांकन के बाद चार बार ही आए खटीमा
– दूसरी विधानसभा सीटों पर फोकस
-प्रचार को प्रदेशभर में भ्रमण