आज की एडवांस टेक्नोलॉजी के चलते विकलांगता अभिशाप नहीं, विकृतियों को सही समय पर पुनर्वासित किया जाए तो दिव्यांग जन जीवन में छू सकते है ऊंचाइयां

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जी हां उत्तराखंड व समीपवर्ती क्षेत्रों के विकलांगजनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग के तत्वावधान में शिविर का आयोजन किया गया।

जिसमें काफी संख्या में दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग वितरित किए गए। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉक्टर )मीनू सिंह ने पीएमआर विभाग की इस पहल की सराहना की। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकोमोटर के सहयोग से आयोजित शिविर में संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि अब विकलांगता एक अभिशाप नहीं रह गया है। उन्होंने बताया कि अब चिकित्सा विज्ञान में कई नई तकनीक आ गई हैं,जिनसे दिव्यांगजनों का इलाज और पुनर्वास सफलतापूर्वक किया जाना संभव है। उन्होंने कहा कि इसी बात को चरितार्थ करते हुए हमारे संस्थान के पीएमआर विभाग ने एक मानवीय पहल की है जो कि अत्यंत सराहनीय व दिव्यांगजनों के हित में है।

कार्यकारी निदेशक प्राेफेसर( डा. )मीनू सिंह ने बताया कि संस्थान इस मानवीय पहल को आगे भी सततरूप से जारी रखेगा। लिहाजा भविष्य में पीएमआर विभाग की सेवाओं का विस्तारीकरण किया जाएगा, जिससे इसका लाभ अधिक से अधिक दिव्यांगजनों को दिया जा सके। डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि यदि दिव्यांगजनों की विकृतियों को सही समय पर पुनर्वासित किया जाए तो वह भी जीवन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आयोजित शिविर इस दिशा में ठोस पहल है।

संस्थान के पीएमआर विभागाध्यक्ष डा. राजकुमार यादव ने बताया कि हमारे देश की कुल आबादी में दो से तीन प्रतिशत लोग विकलांगता से जूझ रहे हैं,जिन्हें पुनर्वासित करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पीएमआर विभाग इस दिशा में सतत कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि आयोजित शिविर इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक छोटी सी शुरुआत है।

कार्यक्रम में उप चिकित्सा अधीक्षक डा. अंशुमन दरबारी, पीएमआर विभाग के सहायक आचार्य डा. ओसामा नेयाज, एनआईएलडी, देहरादून के दीप्तो मित्रा, शौविक दास के अलावा पीएमआर विभाग के चिकित्सक व स्टाफ सदस्य मौजूद थे।