उत्तराखंड की पर्यावरण हितैषी परम्पराओं को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हो रहा है हरेला पर्व -अनिता ममगाई
ऋषिकेश- उत्तराखण्ड में तीज त्यौहार यहां की जान हैं तो मेले उत्सव यहां की पहचान। हरेला का लोक पर्व भी यहां के जनमानस में रचा बसा है। प्रकृति संरक्षण के रूप में मनाये जाने वाले पर्व की समूचे उत्तराखंड के साथ ऋषिकेश में भी धूम रही।ऋषिकेश में विभिन्न संस्थाओं द्वारा इस अवसर पर पौधे रौंपकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया।
हरेला का प्रमुख केन्द्र “एम्स ” रहा । यहां पौधारोपण कार्यक्रम में शिरकत करते हुए नगर निगम महापौर अनिता ममगाई ने एम्स डायेरक्टर प्रोफेसर डॉ मीनू सिंह, संस्थान के डीन ऐकेडमिक प्रो मनोज गुप्ता सहित तमाम अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लोक पर्व हरेला की बधाई दी। इस अवसर पर महापौर ने कहा कि हरेला उत्तरखण्ड में मनाया जाने वाला वो पर्व है जो पर्यावरण और किसानों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि बिना पेड़ पौधों के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पर्यावरण बचाने के लिए एक माह तक चलने वाले हरेला महोत्सव में महापौर ने तमाम शहरवासियों से जहां भी स्थान मिले वहां पौधारोपण करने की अपील की। मेयर ने बताया सरकार की ओर से हरेला पर्व पर 15 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। सामूहिक प्रयासों से यह मुहिम जरूर सफल होगी।कहा कि, उत्तराखण्ड की लोक परम्पराओं और लोक संस्कृति से जुड़ा पर्यावरण संरक्षण का महोत्सव है। हमें उत्तराखण्ड की पर्यावरण हितैषी परम्पराओं को आगे बढ़ाना है और हरेला पर्व के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के संदेश के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह पर्व हमें सम्पन्नता, हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का भी सन्देश देता है। पर्यावरण संरक्षण तथा प्रकृति को महत्व देने की हमारी परम्परा रही है। हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध वातावरण मिल सके इसके लिए सबको पौधारोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यान देना होगा। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से आज दुनिया भर के देश चिंतित हैं। यह पर्व ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ने का भी संदेश देता है। हमें व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण के साथ उनके संरक्षण के प्रति भी ध्यान देना होगा।