ऋषिकेश : “अटाली गाँव” में दरारें पड़ी तो मचा हड़कंप…RVNL ने प्रेस वार्ता कर दावा किया ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन को विदेशी एक्सपर्ट की देखरेख में बनाया जा रहा..है सुरक्षित

अजीत सिंह यादव, मुख्य परियोजना प्रबंधक ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन

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ऋषिकेश : ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर जोशीमठ आपदा के बाद सवाल उठने लगे हैं। रेल निगम ने ऋषिकेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया है कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की सभी टनल पूरी तरह सुरक्षित हैं. टनल निर्माण से किसी भी तरह का नुकसान आसपास के क्षेत्र में नहीं हुआ है। हालांकि पिछले दिनों ऋषिकेश से 32 किलोमीटर दूर ब्यासी के अटाली गांव के घरों के अंदर, जमीन में जो दरारे आ चुकी हैं. उसका जवाब किसी के पास नहीं है. अजीत सिंह यादव, मुख्य परियोजना प्रबंधक ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ने प्रेस वर्ता में जानकारी दी है टनल की बाहरी दीवार में आई हैं दरारें अब स्थिर हैं और कोई खतरा नहीं है। दूसरी तरफ वहीं मरोड़ा गांव 2021 में प्रभावित हुआ था जिसको पूरी तरह से खाली करा लिया गया था. जियोलॉजिकल हाइड्रोलॉजिकल सहित सेस्मिक जोन को देखते हुए भूकंप रोधी सभी सर्वे कराने के बाद शुरू किया गया। यादव ने बताया इस परियोजना में देश सहित विदेश की तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है। जिसके अंतर्गत आज भी विदेशी सुरंग निर्माण विशेषज्ञों की देखरेख में तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है। जिससे उनका कार्य संतोषजनक होने के साथ सुरक्षा की दृष्टि से सभी मानकों पर खरा उतरा है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत 17 मुख्य टनल, 12 एस्केप टनल सहित एडिट टनल मिलाकर कुल 43 टनल सुरक्षा मानकों के अनुसार निर्माण किया जा रहा है। यादव ने बताया ब्रिज जियोलॉजिकल, आईआईटी रुड़की, हाइड्रोलॉजिकल और अन्य तरह के सभी सर्वे करने के बाद बनाये हैं गए हैं रेल टनल और ब्रिज। विदेशी सुरंग निर्माण विशेषज्ञों की देखरेख में चल रहा है काम।

अब सवाल कई खड़े होते हैं. सबसे पहले अटाली में घर के अंदर दीवारें, आँगन, उनके खेतों में दरारें जो आयी हैं. ग्रामीण खौफ में हैं. रात को सो नहीं पा रहे हैं. पता नहीं कब क्या हो जाए. जोशीमठ की तस्वीरें देख कर पहाड़ में रहने वाला हर कोई सोचने में मजबूर हो रहा है. इन ग्रामीणों ने कभी सोचा नहीं होगा उनके आंगन में खेतों में खतरे के निशान लगेंगे. खतरे का फीता लगेगा. ग्रामीणों का कहना है श्रोत बन हो रहे हैं इससे न केवल हमें ख़तरा है बल्कि जो पानी के श्रोत हैं वे भी डिस्टर्ब होंगे और धरनी के अंदर प्रतिक्रिया होगी. ग्रामीण विनोद चौहान का कहना है 20 जनवरी को फिर से प्रशासन ने बैठक बुलाई है. अभी कुछ नहीं बता रहे हैं ग्रामीण. 2023 -24 तक रेल का उदघाटन करने की तैयारी में केंद्र सरकार जोर शोर से लगी हुई है. लेकिन जिस जोन में उत्तराखंड है उससे कहीं न कहीं अब सवाल उठने लग गए हैं. यहाँ पर भूकंप के झटके लगभग आते रहे हैं. ऐसे में यह परियोजना कितनी कारगत साबित होती है यह आने वाला समय ही बताएगा. फिलहाल जहाँ दरारे आयी हैं और जहाँ पर लोग खौफ में हैं या प्रभावित हो रहे हैं वहां पर सरकार के लिए कोई स्पष्ट शब्द बोलने को नहीं हैं. आखिर सरकार तो फिर सरकार ही होती है. जो बोले, जो करे वही ठीक. चाहे वह गलत ही क्योँ न हो रहा हो.