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गंगा किनारे ओम जय जगदीश हरे और ओम नमः शिवाय को हिब्रु भाषा में गाकर, हर कोई देख हुआ हैरान

ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में शाम के वक्त शनिवार को गंगा आरती में इजरायल और यमन से आये हुए कलाकारों ने मोह लिया लोगों का. इस दौरान सब का मन, ऊर्जा, उमंग और उत्साह के योग की मस्ती में मस्त हुये योगी. अगर हम कहें गंगा के तट पर बही हिब्रु संगीत की धारा तो गलत नहीं होगा. जो कलाकार आये हुए थे उनमें से गिल रान सामा, इजराइल, ओपीर इवोडेम, इजराइल, ओफिर विप्लिच, तजाबरी यायर, अमीर बार डेविड, इताई एलियासी यमन के थे. इनके संगीत पर साधक मंत्रमुग्ध हुए.

आपको बता दें, परमार्थ निकेतन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के 4 दिन 90 से अधिक देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागी योग, ध्यान, प्राणायाम, आयुर्वेद, संगीत, भारतीय दर्शन व जीवन विधाओं को आत्मसात कर रहे हैं। सायंकाल परमार्थ निकेतन गंगा तट होने वाली दिव्य गंगा आरती सभी के लिये एक दिव्य आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर योग जिज्ञासु योग की प्राचीन विधाओं के साथ भारतीय दर्शन और जीवन पद्धति, भारतीय भोजन और चितंन को भी आत्मसात कर रहे हैं. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योग हमारे ऋषियों की सदियों की तपस्या का सुखद परिणाम है। योग हमारी विरासत है जो पूरे विश्व के लिये अमूल्य उपहार है। योग ना केवल शारीरिक स्तर पर बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी हमें मजबूत करता है, इसलिये आईये करें योग और रहें निरोग।केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, आयुष मंत्रालय और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत सरकार सर्बानंद सोनोवाल ने आज प्रातःकाल यज्ञ के पश्चात स्वामी का आशीर्वाद लेकर परमार्थ निकेतन के विदायी ली। मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन आकर देखा कि पूरे विश्व के योग साधक एक साथ आकर एकता के साथ समर्पित भाव से योग कर रहे हैं। यहां के दृश्य को देखकर मैं चकित हो गया। वास्तव में परमार्थ निकेतन योग के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन में योग की व्यापकता के लिये विलक्षण कार्य सम्पन्न हो रहे हैं। यज्ञ में सहभाग कर जीवन की धन्यता और पूर्णता का अनुभव हुआ। यहां का स्वर्गतुल्य वातावरण दिल और आत्मा को स्पर्श करने लेने वाला है।साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि पूर्ण स्वास्थ्य का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें बुखार, वायरस, बैक्टीरिया या अन्य किसी प्रकार का संक्रमण नहीं है अर्थात हम पूर्ण स्वस्थ है। स्वास्थ्य अर्थात् पूर्णता का अनुभव से है।