ऋषिकेश : उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह ने किया परमार्थ में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विधिवत उद्घाटन
–परमार्थ गंगा आरती में 90 से अधिक देशों से आये योगाचार्यों और योग जिज्ञासुओं की साक्षी में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विधिवत उद्घाटन
-जी-20, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हो रहा है अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव
-स्वामी चिदानंद मुनि ने राज्यपाल उत्तराखंड, लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
-योग के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देने का दिया संदेश
-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ है आज की जरूरत-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) परमार्थ निकेतन में 35 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आज विधिवत उद्घाटन राज्यपाल उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह की पावन उपस्थिति में हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती और अन्य विशिष्ट अतिथियों, विश्व के अनेक देशों से आये योगाचार्यों, योग जिज्ञासुओं, धर्मगुरूओं और विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों ने दीप प्रज्वलित कर अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विधिवत शुभारम्भ किया।
राज्यपाल उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह ने कहा कि यह अद्भुत अवसर है कि हम माँ गंगा के तट पर होली के पावन अवसर पर एकत्र हुये हैं। होली रंगों का पर्व है और प्रेम बांटने का पर्व है। योग शरीर, मन और आत्मा का योग बनाता है। गुरू नानक देव ने कहा है कि एकम, हम सब एक परिवार है। हम एकता, ज्ञान, शक्ति और दिव्यता के लिये एकत्र हुये है। उन्होंने कहा कि महिलायें, शक्ति का स्वरूप है, वेल और वेलनेस का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि समाज में लैंगिक समानता की स्थापना होगी तो भगवान शंकर भी प्रसन्न होंगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी योग के माध्यम से पूरे विश्व में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में अद्भुत कार्य कर रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वैश्विक योगी परिवार को योग के माध्यम से ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि योग का तात्पर्य ही है प्रकृति, पर्यावरण और मानवता के साथ संयोग। आज पूरे विश्व को पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। उत्तराखंड योग की जन्मभूमि है और यहां पर हिमालय की कन्द्राओं में रहकर ही हमारे ऋषियों ने योग, ध्यान, पारम्परिक भारतीय जीवन शैली के परिष्कृत रूपों की खोज की हैं जो कि हर युग के लिये प्रासंगिक है इसलिये योग के साथ उसके मूल स्वरूप, सिद्धान्त और सार तत्व को भी अंगीकार करना जरूरी है।साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सभी का परम सौभाग्य है कि हमें योग की जन्मभूमि ऋषिकेश में आकर योग को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हुआ। कोविड के बाद पूरी दुनिया ने योग के महत्व को स्वीकार किया। आप सब जब यहां से जायें तो योग के प्रति और जागरूक होकर जाये और योग के वास्तविक स्वरूप और सार तत्व को अपने साथ लेकर जायें।
प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि और रूणा रिज़वी के संगीत ओम नमः शिवाय, शिवाय नमः ओम के धूम पर हुये मस्त-
परमार्थ गंगा आरती में योगी प्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमणि और रूणा रिज़वी के संगीत ओम नमः शिवाय, शिवाय नमः ओम के धूम पर हुये मस्त।आज प्रातःकाल की शुरुआत कैलिफोर्निया, यूएसए के विख्यात योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा के नेतृत्व में कुंडलिनी साधना के साथ हुई, ईस्ट लंदन स्कूल ऑफ योगा के संस्थापक स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट द्वारा वृक्षयोग (द योगा ट्री), पाउला तापिया का चिकित्सीय योग प्रवाह और डॉ इंदु शर्मा द्वारा पारंपरिक हठ योगासन, गंगा नंदिनी द्वारा नाद योग जप और ध्यान, गोल्डन ब्रिज योग केंद्र के संस्थापक के नेतृत्व में कुंडलिनी योग, कैलिफोर्निया से प्रसिद्ध कुंडलिनी योग शिक्षक, गुरमुख कौर खालसा द्वारा ‘ओपन देयर हार्ट टू द लाइट’, रेडिएंट बॉडी योगा के संस्थापक किआ मिलर ने रेडिएंट इनर लाइट – हीलिंग ब्रीथ सीक्वेंस पर अद्भुत कार्यशाला का नेतृत्व किया, पावर विनयस का अभ्यास केटी बी हैप्पी ने कराया, एरिका कॉफमैन द्वारा लाइव संगीत के साथ लीला सूर्य नमस्कार पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
वेद और वेदांत पर स्वामी स्वात्मानंदजी ने व्याख्यान दिया, साथ ही आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में एक अग्रणी नाम मारिया एलेजांद्रा अचारियन ने आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। लॉस एंजिल्स, सीए में लोयोला मैरीमाउंट विश्वविद्यालय में योग और हीलिंग विज्ञान कार्यक्रम के निदेशक डॉ. ईडन गोल्डमैन ने योग एक सार्वभौमिक मानव भाषा, ऋषिकेश के मूल निवासी और सत्व योग अकादमी के संस्थापक आनंद मेहरोत्रा ने ब्रह्मांडीय आत्म और ‘एक्सेस प्राण’, रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोसेन ने परमात्मा की आवृत्ति में ट्यून करने का अभ्यास कराया।
विशेष योगाभ्यास में – प्रातः 4ः30 बजे से रात 9ः30 बजे तक होगी, जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगार योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी, लीला योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, डीप योग, नाड़ी योग एवं भारतीय दर्शन, डाॅस आफ प्राण, द रूट आफ यम, योग राग, सूर्योदय नाद, श्रीकृष्ण बांसुरी राग, कास्मिक हार्ट, की भी कक्षायें सम्पन्न होगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों, धर्मगुरूओं, विशेषज्ञों, राजनेताओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं प्रश्नोŸारी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में होगा। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति, दर्शन, समृद्ध विरासत, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने हेतु विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
ये देश के साधक आ रहे हैं महोत्सव में –
भारत, अफगानिस्तान, अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बोस्निया और हर्जेगोविना, बोत्सवाना, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कंबोडिया, कनाडा, चाड, चीन, कोलंबिया, क्रोशिया, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, यूरोपीय संघ ईयू, फॉकलैंड, आइलैंड, फिनलैंड, फ्रांस, गैबॉन, जॉर्जिया, जर्मनी, घाना, यूनान, हांगकांग, आइसलैंड, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, कुवैत, लाओस, लिथुआनिया, मलेशिया, माली, माल्टा, मॉरीशस, मेक्सिको, मंगोलिया, मोंटेनेग्रो, मोरक्को, मोजाम्बिक, नामिबिया, नेपाल, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, नॉर्वे, ओमान, पेरू, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सिंगापुर, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, श्रीलंका, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ताजिकिस्तान, तंजानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे, उज्वेकिस्तान, वेनेजुएला, वियतनाम आदि अन्य अनेक देशों के एक हजार से अधिक योग जिज्ञासुओं, प्रतिभागियों और 25 से अधिक देशों से 75 से अधिक योग प्रशिक्षक सहभाग कर रहे हैं।