ऋषिकेश : गुमानीवाला में खैर का पेड़ कटान के आरोप में वन विभाग ने किया दो का चालान (FIR)
ऋषिकेश : गुमानीवाला में गुलरानी फार्म के पास गैरकानूनी तौर पर ”खैर” का पेड़ काट डाला, वन विभाग ने किये दो के चालान, पेड़ किया जब्त, कार्यवाही जारी
-अवैध खैर का पेड़ कटान के आरोप में दो के जिनमें रंजीत थापा और छब्बी देवी का चालान (FIR) किया गया है वन विभाग द्वारा
ऋषिकेश : बुधवार को गुमानीवाला इलाके में गुलरानी फार्म क्षेत्र में चौहान घर के पास एक खैर का पेड़ अवैध रूप से कटा होने की सूचना ऋषिकेश वन विभाग को मिली. सूचना पर क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश (रेंजर) रविंद्र बेदवाल ने अपनी वन विभाग की टीम मौके पर भेजी.
वन बीट अधिकारी राजेश बहुगुणा के नेतृत्व में. टीम के मौके पर पहुँचने के बाद पाया गया खैर के पेड़ का अवैध कटान किया हुआ है. तुरंत टीम ने कटे पेड़ को कब्जे में लिया और दो लोगों का चालान किया है.
आपको बता दें यह क्षेत्र वन आरक्षित क्षेत्र है.क्षेत्राधिकारी रविंद्र बेदवाल के अनुसार, वन विभाग की लालपानी बीट क्षेत्र में एक खैर का पेड़ को अवैध रूप से काट दिया था. उसकी सूचना मिली तो हमने पेड़ को कब्जे में ले लिया और दो लोगों जिनके नाम हैं रंजीत थापा और छब्बी देवी का चालान किया है. आगे विधिक जो भी कार्रवाई होगी उसको अमल में लाया जायेगा.
खैर की लड़की क्या होती है ?
खैर साधारणतः वृक्ष 3-4 मीटर ऊँचा होता है। यह वृक्ष पंजाब से असम तक तथा समस्त दक्षिणी प्रायद्वीप पर पाया जाता है। इसकी तीन प्रजातियाँ होती हैं। पहली प्रजाति पंजाब, उत्तरांचल, बिहार, उत्तरी आंध्रप्रदेश में पाई जाती है। दूसरी असम, कर्नाटक तथा तामिलनाडु (नीलगिरि की पहाडि़याँ) में पाई जाती हैं। तीसरी प्रायद्वीपीय भाग में पाई जाती है। खैर से कत्था तथा कच निकाला जाता है। कत्था पान में प्रयोग होता है। यह कई रोगों में दवा के रूप में भी प्रयोग होता है। कच का प्रयोग रूई तथा ]]रेशम]] की रंगाई और कपड़ों की छपाई में किया जाता है। इसका उपयोग मत्स्याखेट के जालों, नाव के पालों तथा डाक के थैलों को रंगने के लिए किया जाता है।
खैर की लकड़ी कठोर होती है। यह अच्छी, मूल्यवान तथा टिकाऊ होती है। इसमें दीमक नहीं लगती और इस पर पाॅलिश अच्छी चढ़ती है। मकानों के खम्भे, तेल तथा गन्ने के रस निकालने वाले यंत्रों, हलों तथा औजारों के दस्ते भी अच्छे बनाये जाते हैं। इस लकड़ी का कोयला बहुत अच्छी श्रेणी का होता है।खैर का पेड़ को पहचानना बहुत आसान है। खैर का पेड़ एक जंगली पौधा है। यह बबूल की प्रजाति का पेड़ है और यह बबूल के पेड़ के समान ही रहता है। मगर इसमें थोड़ा सा अंतर रहता है। खैर के पेड़ में आपको कांटे, जो देखने के लिए मिलते हैं। वह छोटे कांटे रहते हैं और इसके काटे इसकी पत्तियों के पीछे भी रहते हैं। खैर के, जो फल रहते हैं। उनमें भी अंतर रहता है। खैर के फल चिकने और लंबे रहते हैं और फल के अंदर बीज रहते हैं। बीजों की संख्या 6 या 8 रहती है।खैर का पौधा 15 से 20 फीट तक लंबा रहता है।
खैर का पौधा में पीले रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। खैर का पौधा मुख्य रूप से जंगल के अंदर या सड़कों के किनारे देखने के लिए मिल जाता है। खैर का पौधा गरम प्रदेशों में अच्छी तरह बड़ा होता है। खैर का पौधा मध्य प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा इन सभी जगह पर अच्छी तरह से बड़ा होता है।
आरक्षित वन क्षेत्र से क्या तात्पर्य है?
भारत में आरक्षित वन (reserved forest या protected forest ) से आशय उन वनों से है जिनको कुछ सीमा तक संरक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस शब्द का सबसे पहले उपयोग भारतीय वन अधिनियम 1927 में हुआ था। भारत का पहला आरक्षित वन सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान था।आरक्षित वन सबसे अधिक प्रतिबंधित वन हैं और किसी भी वन भूमि या बंजर भूमि जो कि सरकार की संपत्ति है, पर राज्य सरकार द्वारा गठित किये जाते हैं।आरक्षित वनों में किसी वन अधिकारी द्वारा विशेष रूप से अनुमति के बिना स्थानीय लोगों की आवाजाही निषिद्ध है।