ऋषिकेश : गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की मजबूत महिलाओं के इतिहास को हमें हमेशा याद रखना चाहिए, अपने संस्कारों के प्रति संकल्पित रहें महिलायें : कुसुम कंडवाल
ऋषिकेश : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में यूथ-20 सम्मिट के तहत एम्स ऋषिकेश में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करने पर जोर दिया। इस मौके पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश एक लैंगिक समावेशी और लैंगिक संवेदनशील संगठन होने की दिशा में काम कर रहा है।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस अवसर पर महिलाओं के कल्याण के लिए एक सामाजिक समूह की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह समूह लिंग आधारित मुद्दों पर संवेदीकरण और समर्थन की दिशा में काम करेगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की मजबूत महिलाओं के इतिहास को हमें हमेशा याद रखना चाहिए। उन्होंने महिलाओं से अपने संस्कारों के प्रति संकल्पित रहने का आह्वान किया। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि किसी भी समाज के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका होती है। उन्होंने एक चिकित्सक और नर्स के रूप में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रही महिलाओं के योगदान पर भी प्रकाश डाला और किशोरियों तथा महिलाओं को अपने विषय में गूढ़ अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सिंगापुर से अंतरराष्ट्रीय वक्ता अंजू जसवाल ने कॉर्पोरेट क्षेत्र के संदर्भ में कामकाजी महिलाओं के वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में महिलाओं को कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन दिल्ली की प्रोफेसर मीराम्बिका महापात्र ने महिलाओं के लिए भारतीय परिदृश्य के विषय पर चर्चा की और महिलाओं के समर्थन में की जा रही कार्यवाहियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यस्थल के साथ-साथ घरेलू मोर्चे पर महिलाओं की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और लैंगिक संवेदनशीलता और समावेशिता पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम में प्रो.मीराम्बिका व अंजू जसवाल ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया। संस्थान की डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने बालिकाओं को प्रत्येक क्षेत्र में सशक्त बनाने पर जोर दिया। कहा कि तभी महिला समाज अपना सही मुकाम हासिल कर सकते हैं। डॉ. वंदना ढींगड़ा ने लैंगिक समानता बनाम समानता और इसे प्राप्त करने के तौरतरीकों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पीजीआईएमईआर के प्रोफेसर मधु, प्रोफेसर मनोज गुप्ता, प्रोफेसर लतिका मोहन, डॉ. मीनाक्षी धर, डॉ. अंजुम सैय्यद,डॉ.रश्मि मल्होत्रा, प्रिंसिपल कॉलेज ऑफ नर्सिंग डॉ. स्मृति अरोड़ा, डॉ. बेल्सी, डॉ. मलार कोडी, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. पूर्वी कुलश्रेष्ठ, डॉ. पूजा भदौरिया समेत आदि मौजूद थे।