कलयुग के श्रवण कुमार अपने दिव्यांग भाई और मां को पालकी में करा रहे कांवड़ यात्रा

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रुड़की: आज के युग में भी श्रवण कुमार जैसा पुत्र भी हो सकता है इसका जीता जागता उदाहरण मिला कावंड यात्रा में जहां श्रवण और राजेश अपने बूढ़ी मां और दिव्यांग भाई को पालकी पर कावड़ यात्रा करवा रहे है।

कोरोना काल के दो साल के लंबे अंतराल के बाद इस बार कावड़ यात्रा सुचारू रूप से शुरू हो चुकी है, वहीं धर्म नगरी हरिद्वार शिव भक्तों की आस्था और भोले नाथ के जयकारों से गूंज उठी, उसी आस्था के साथ बुलंदशहर निवासी श्रवण और राजेश अपने दिव्यांग भाई रमेश और मां सावित्री देवी को पालकी में कांवड़ यात्रा कराकर सेवा करने का संदेश दे रहे हैं, दरअसल आज के समय में मां और भाई के लिए इतना प्रेम बहुत कम देखने को मिलता है।

बता दें, 11 जुलाई को हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने के बाद गंगाजल भरकर पालकी में दिव्यांग भाई और अपनी वृद्ध मां को उसमें बैठा दिया, इसके बाद दोनो भाईयों ने अपने दिव्यांग भाई और वृद्ध मां को पालकी से कंधे पर उठाकर हरिद्वार से बुलंदशहर तक की यात्रा पर निकल गए, शुक्रवार को दोनो भाई रुड़की के मंगलौर पहुंचे जहां पर उन्होंने विश्राम किया, बताते चलें कि हरिद्वार से बुलंदशहर की दूरी 250 किलोमीटर है, लेकिन भगवान शंकर के प्रति दोनो भाईयों की आस्था ने दिव्यांग भाई और बूढी मां की सेवा का संदेश दिया है, वहीं दोनो भाईयों का कहना है कि दोनों भाई इस साल दूसरी बार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं, दोनों भाईयों की एक ही मन्नत थी कि अपने दिव्यांग भाई और वृद्ध मां को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा कराए जो आज भगवान शिवशंकर ने यह मन्नत इस वर्ष पूरी कर दी।