क्या है? तुलसी का महत्व जानिए…….

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तुलसी की मान्यता पौराणिक समय से ही चली आ रही है हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यधिक मान्यता दी जाती है यह सब के घर के आंगन में होती है मान्यता है कि तुलसी आंगन में लगे होने से घर में सुख और शांति का वास होता है।

तुलसी दो प्रकार की होती है काला और हरा काले रंग की तुलसी को अत्यधिक महत्व दिया जाता है जो कि बहुत कम भी पाया जाता है तुलसी सबके घरों में लगा होता है वनों में खुद ही उग जाता है और नित्य प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है संध्या को इनके आगे ज्योति जलाई जाती है ।

हिन्दू धर्म में विभिन्न शास्त्रों में तुलसी की महान विशेषताएं बताएं गई हैं. ये विशेषताएं धार्मिक, वैज्ञानिक और औषधीय आधार पर वर्णित की गई हैं. भगवान को भोग लगे और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार तुलसी को विष्णु जी की प्रिय मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी डालकर भोग लगाने पर चार भार चांदी व एक भार सोने के दान के बराबर पुण्य मिलता है और बिना तुलसी के भगवान भोग ग्रहण नहीं करते, उसे अस्वीकार कर देते हैं भगवान की कृपा से जो जल और अन्न हमें प्राप्त होता है।

उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही भगवान को भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भोग लगाने के बाद ग्रहण किया गया अन्न दिव्य हो जाता है, क्योंकि उसमें तुलसी दल होता है। भगवान को प्रसाद चढ़े और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। इसलिए भगवान को भोग लगाने के साथ ही उसमें तुलसी डालकर प्रसाद ग्रहण करने से भोजन अमृत रूप में शरीर तक पहुंचता है और ऐसी भी मान्यता है कि भगवान को प्रसाद चढ़ाने से घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और घर में कोई कमी नहीं आती है।

तुलसी को भारतीय जनमानस में बड़ा पवित्र स्थान दिया गया है। यह लक्ष्मी व नारायण दोनों को समान रूप से प्रिय है। इसे ‘हरिप्रिया’ भी कहा गया है। बिना तुलसी के यज्ञ, हवन, पूजन, कर्मकांड, साधना व उपासना पूरे नहीं होते। यहां तक कि श्राद्ध, तर्पण, दान, संकल्प के साथ ही चरणामृत, प्रसाद व भगवान के भोग में तुलसी का होना अनिवार्य माना गया है।

भोग में तुलसी डालने के पीछे सिर्फ धार्मिक कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे अनेक वैज्ञानिक कारण भी हैं। तुलसी दल का औषधीय गुण है। एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोग प्रतिरोधक होता है। यानि कि ऐंटीबायोटिक। संभवतः भोग में तुलसी को अनिवार्य किया गया कि इस बहाने ही सही लोग दिन में कम से कम एक पत्ता ग्रहण करें ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। इस तरह तुलसी स्वास्थ्य देने वाली है। तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है।

पौराणिक दृष्टि से यह भी माना जाता है कि तुलसी को गणेश जी के भोग में नहीं डाला जाता है क्योंकि यह वर्जित है

तुलसी को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है लोग चाय या काढ़ा बनाते हैं या किसी भी प्रकार की दवाई बनाते हैं तो उसमें भी प्रयोग किया जाता है औषधि के रूप में तुलसी बहुत ही असरदार होती है