गुरु का दर्जा ईश्वर से बड़ा होता आइए जानते है कैसे मनाया जाता गुरु पूर्णिमा और क्या है इस दिन का महत्व
गुरु का दर्जा ईश्वर से बड़ा होता आइए जानते है कैसे मनाया जाता गुरु पूर्णिमा और क्या है इस दिन का महत्व
आज है गुरु पूर्णिमा। ये दिन गुरु के समक्ष आस्था और सम्मान प्रकट करने का दिन है। कहा जाता है गुरु बिन अधूरा है जीवन इस दिन गुरु का आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु शब्द का अर्थ है, अंधकार को हरने वाला प्रकाश और गुरु पूर्णिमा उस प्रकाश का उत्सव है। इस दिन हो सके तो गुरु को नमन कर उन्हें कोई भेंट देनी चाहिए।
1.कबीरदास जी ने भी कहा है, गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय । बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।।
इसका अर्थ है ईश्वर और गुरु दोनों खड़े हैं और अब मैं दुविधा में हूं किसके पैर पहले स्पर्श करुं। ऐसे में गोविंद ने ही बताया कि पहले गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए। गुरु ही जीवन में ज्ञान का मार्ग प्रश्त करते हैं। हमें सही गलत का फर्क बताते हैं। इसलिए भगवान से भी पहला स्थान गुरु का है।
इस दोहे में कहा गया है, गुरु ही बह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश हैं। इसका अर्थ है, इस सृष्टि को चलाने वाले ईश्वर से भी बढ़कर गुरु हैं। इसलिए ऐसे गुरु को बार-बार प्रणाम है।
2.गुरु की महिमा को लेकर एक दोहा और है
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
3.गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
4.वेदव्यास जी आदिगुरु हैं। सभी पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। इन्होंने वेदों को विभाजित किया है, जिसके कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था।
गुरुपूर्णिमा में बन रहे है शुभ योग
आषाढ़ पूर्णिमा पर ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण कई राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस बार गुरु पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के शुभ संयोग से रुचक, शश, हंस और भद्र योग बन रहे हैं। मान्यता है कि गुरु पूजन से जातक की कुंडली में गुरु दोष व पितृदोष समाप्त होता है। गुरु पूजन से नौकरी, करियर व व्यापार में लाभ मिलने की मान्यता है।
शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को सुबह करीब 4 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन गुरुवार, 14 जुलाई को देर रात 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। इन्द्र योग 13 जुलाई को दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा। चन्द्रोदय समय- 13 जुलाई, शाम 07:20 बजे। भद्रा सुबह 05 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक है। इस दिन का राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक है।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें-
इस दिन केसर का तिलक लगाना चाहिए और पीली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन गीता पाठ करना अति उत्तम माना गया है। इस दिन पिता, गुरु व दादा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या खरीदना चाहिए-
गुरु पूर्णिमा के दिन चांदी या पीतल की कोई वस्तु खरीदनी चाहिए। इस दिन कॉपी-किताबें या स्टेशनरी का समान खरीदना शुभ माना जाता है।