श्रीमद् भागवत कथा में दूसरे दिन श्रोताओं को आया आनंद, कलयुग में क्यों है जरूरी श्रीमद् भागवत कथा..इसके महत्व को समझा
आज होशियारी माता मंदिर के प्रांगण में हो रही श्रीमद् भागवत का दूसरे दिन जहां बड़ी संख्या में लोगों ने कथा श्रवण किया । व्यास बृज बिहारी शर्मा ने गौकर्ण की कथा का वाचन किया। श्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का महत्व को जाना।
कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है। लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। धुन्धकारी जैसे शराबी, कवाबी, महापापी, प्रेतआत्मा का उद्धार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया।
व्यास बृज बिहारी शर्मा का कहना है कि आज की भाग दौड़ भरे जीवन में थोड़ा समय निकाल आज की युवाओं को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना जरूरी हो गया है क्योंकि कथा सुनने से आपका दिमाग शांत होता है और सोचने समझने की शक्ति तेज़ होती है। इसी लिए जब भी आपको लगे क्षेत्र में कहीं भागवत कथा हो रही है तो समय निकाल कर जरूर सुने। बच्चों को भी जरूर ले जाए।