गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और उत्तराखंड के ख्याति प्राप्त नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से किया सम्मानित
उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक और गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और उत्तराखंड के ख्याति प्राप्त नाट्य समीक्षक दीवान सिंह बजेली को आज संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों को दिल्ली के विज्ञान भवन में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारत में प्रदर्शन कला वर्ग में दिए जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी आज 9 अप्रैल को पुरस्कार अर्पण समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में देश भर से चयनित 44 प्रख्यात संगीतकारों, नर्तकों, लोक एवं जनजातीय कलाकारों और रंग कर्मियों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं, इस बार पारंपरिक व लोक संगीत केटेगरी में पांच संगीतकारों को सम्मानित किया गया है, जिसमें उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का नाम भी शामिल है। सोमेश्वर के दीवान सिंह बजेली को भी संगीत एवं नाट्य अकादमी फेलोशिप और अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
नरेंद्र सिंह नेगी
नेगी दा उत्तराखंड के मशहूर लोक गीतकारों और गायकों में से एक हैं। उनकी श्री नेगी नामक संस्था उत्तराखण्ड के कलाकारों के लिए एक लोकप्रिय संस्थाओं में से एक है। नरेंद्र सिंह नेगी मूल रूप से पौड़ी जिले के रहने वाले हैं, जिनका जन्म 12 अगस्त 1949 को हुआ। नेगी ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत गढ़वाली गीतमाला से की थी और यह “गढ़वाली गीतमाला” 10 अलग-अलग हिस्सों में थी। नेगी दा की पहली एल्बम का नाम ‘बुरांस’ था। अब तक नेगी दा हजार से भी अधिक गानों को आवाज दे चुके हैं।
नरेंद्र सिंह नेगी लोक कलाकार के साथ ही लेखक और कवि भी हैं। उनकी अब तक 3 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। नेगी की पहली पुस्तक “खुचकंडी” उनकी दूसरी पुस्तक “गाणियौं की गंगा, स्यणियौं का समोदर” उनकी तीसरी पुस्तक मुट्ठ बोटी की राख शामिल हैं। इसके अलावा उनके चर्चित राजनीतिक गीत ‘नौछमी नारेणा’ पर 250 पृष्ठों की एक किताब ‘गाथा एक गीत की: द इनसाइड स्टोरी ऑफ नौछमी नारेणा’ 2014 में प्रकाशित हो चुकी है और यह काफी चर्चित रही।
दीवान सिंह बजेली
लेखन में 30 वर्षों का अनुभव रखने वाले दीवान सिंह बजेली का जन्म अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर तहसील के कलेत गांव में हुआ था। वह वर्तमान में अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। थियेटर और फिल्म से जुड़े विषयों पर उनकी कलम हमेशा सामाजिक जागरूकता और नागरिकों को सामर्थ्यवान बनाने में अपना योगदान देती रही है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, इकोनॉमिक टाइम्स, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और स्टेट्समैन आदि में उनके क्रिटिक्स प्रकाशित होते रहे हैं। स्थानीय स्तर पर कुमाऊं लोक कथाओं और कहानियों को दुनिया भर में पहचान दिलाने में भी योगदान दिया है। चिल्ड्रेंस वर्ल्ड में उनके प्रकाशन में इसकी बानगी मिलती है। थियेटर और सिनेमा जगत में भी उनकी क्षमता को हर स्तर पर सराहना मिली है। लेखक बजेली साहित्य कला परिषद दिल्ली के द्वारा गठित कई समितियों से भी जुडे़ हैं।
इसके अलावा मोहन उप्रेती द्वारा स्थापित पर्वतीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दे रहे हैं। दीवान सिंह बजेली की रचनाओं की बात करें तो मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट, द थियेटर ऑफ़ भानु भारती-ए न्यू पर्सपैक्टिव, यात्रिक-जर्नी इन थियेट्रिकल आर्ट्स और उत्तराखंड कल्चर इन दिल्लीः मिरियाड ह्यूज ऑफ़ हिमालयन आर्ट्स प्रमुख हैं।