जिंदगी के खुशियों का यही है आधार, खाने में शामिल हो ढेर सारा पौष्टिक आहार , राष्ट्रीय पोषण सप्ताह में Aiims ने लोगों को किया जागरूक…
Uttrakhand Times / Rishikesh / Aiims:- नेशनल न्यूट्रीशन वीक 1 सितम्बर से 7 सितम्बर तक मनाया जाता है। इसको मनाने का एक ही उद्देश्य है कि लोग अपने खानपान के प्रति जागरूक रहे।
आपको बता दे कि एम्स ऋषिकेश की रेडियो थैरेपी विभाग में मरीजों के लिए नेशनल न्यूट्रिशन वीक के तहत पोषण जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभाग की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ द्वारा कैंसर मरीजों को उनके इलाज के दौरान होने वाली समस्याओं जैसे कुपोषण, रक्त की कमी होना आदि की रोकथाम के लिए उपयुक्त आहार एवं पोषण संबंधी जानकारियां दी गई।
इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कैंसर मरीजों से जुड़े पोषण के बारे में बताया कि इस बीमारी के उपचार के दौरान मरीज को सही आहार एवं पोषण नहीं मिलने की वजह से शरीर में ऊर्जा, प्रोटीन, आयरन, पोटेशियम, सोडियम तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और शरीर कमजोर होने लगता है। जिससे कैंसर के उपचार के दौरान मरीज को कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने मरीजों को डाइट प्लान पर चर्चा करते हुए सही भोजन के सेवन की जानकारी दी। संस्थान के डीन एकेडमिक एवं रेडिएशन ओंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता जी की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि कैंसर की जंग को जीतने के लिए इलाज से पहले, इलाज के दौरान व उसके बाद आहार एवं पोषण का विशेषरूप से ध्यान रखना चाहिए।
क्योंकि उपचार के दौरान मरीज कई तरह के दुष्प्रभाव जैसे उल्टी आना, जी मनलाना, कब्ज होना, दस्त लगना आदि समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। जिससे कि मरीजों के भोजन की मात्रा में कमी आने लगती है। उन्होंने बताया कि मरीज के खाने में कमी आने से उसके पोषण में सीधेतौर पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। डीन एकेडमिक ने आहार से मिलने वाले पोषण पर चर्चा करते हुए सभी मैक्रो तथा माइक्रो पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, पोटीन, फैट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम के बाबत बताया, जो कि सही व स्वच्छ भोजन से प्राप्त होते हैं। संस्थान की आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डा. अनु अग्रवाल ने विशेषतौर पर पोषण सप्ताह की थीम (फीडिंग स्मार्ट राइट फ्राॅम द स्टार्ट) के मद्देनजर कैंसर मरीजों को बताया कि जिस प्रकार बच्चे का पोषण मां के गर्भ से शुरू होता है, ठीक उसी तरह से इस बीमारी की शुरुआत से ही जैसे ही हमें पता चलता है, हमें अपने आहार एवं पोषण के साथ साथ अपनी दिनचर्या पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मरीजों को कुपोषण की वजह समझाते हुए बताया कि कुपोषण कैंसर के इलाज का दुष्प्रभाव नहीं है, बल्कि उपचार के दौरान सही आहार एवं पोषक तत्व नहीं लेने का दुष्प्रभाव होता है। उन्होंने मरीजों की शारीरिक तथा मानसिक क्षमताओं तथा सुविधाओं ध्यान में रखते हुए बताया कि किस तरह से वह अपने इलाज के दौरान अपने आहार को संतुलित एवं पोषणयुक्त बना सकते हैं। जिससे अनावश्यक खर्चों तथा गलत तरीके के खानपान से बचा जा सके। मुख्यत: पोषण पर ध्यान देते हुए डा. अनु अग्रवाल ने पारंपरिक तथा स्थानीय खाद्य पदार्थों इंडियन एवं स्टेट फूड को किस तरह से अपने आहार की थाली में परोसा जाए ताकि शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा पूर्ण हो सके। उन्होंने 7 खाद्य तत्वों व उनसे मिलने वाले पोषक तत्वों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अनाज जैसे लाल गेहूं, ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, दालें जैसे सोयाबीन, लोबिया, मूंग दाल, राजमा, फल तथा सब्जियां व हरी सब्जियां, दूध, दही, घी, पनीर, मेवे व पानी का सेवन आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि उक्त तमाम तरह की चीजों से मिलने वाले पोषक तत्वों से शरीर तथा कोशिकाओं को ऊर्जा प्राप्त होती है। बताया कि प्रोटीन हमारे शरीर में मसल्स निर्माण में मदद करता है जबकि फैट बाहरी चोट से शरीर को बचाता है, साथ ही आयरन हमारे शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाने, कैल्शियम हड्डियों के निर्माण में, एंटी ऑक्सीडेंट्स एंटीबॉडी निर्माण करने व पानी हमारे शरीर से विषाख्त पदार्थों को हटाने तथा शरीर की चया पचय प्रक्रिया को सही रखता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का इतिहास
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पहली बार मार्च 1975 में एडीए (अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन, अब – न्यूट्रिशन और डाइट साइंस अकैडमी) ने मनाया था. इसे लोगों को जागरूक करने उद्देशय से मनाया जाता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि 1980 में लोगों ने लेकर इतना जबरदस्त रिस्पॉन्स किया की इसे एक सप्ताह के बजाय पूरे महीने मनाया गया. हालांकि, भारत में केंद्र सरकार ने 1982 में एक अभियान, राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू करने का निर्णय लिया. यह अभियान लोगों को पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित करने और उन्हें एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने का आग्रह करने के लिए बनाया गया था.
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का महत्व
आज के इस महामारी के समय में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का बेहद महत्व है ताकि लोग अपने हेल्थ के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक और सजग रहे. अपने खानपान में ऐसी चीजों को शामिल करें जो उनके इम्यूनिटी और शरीर को मजबूत बना सके.पोषण हमारे दैनिक जीवन के केंद्र में है और इस चक्र को नियंत्रण में रखने के लिए एक बैलेंस और पौष्टिक आहार जरूरी है. इसके बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय का खाद्य और पोषण बोर्ड राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के इस सप्ताह भर चलने वाले वार्षिक उत्सव का आयोजन करता है. यह मानव शरीर में उचित पोषण के महत्व और कार्य पर जोर देता है.