‘तलवार चाहिए न कोई ढाल चाहिए,गढ़वालियों के खून में उबाल चाहिए’

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भारतीय थल सेना की लड़ाकू(इन्फेंट्री)सेना के रूप में अपने विशेष शौर्य,पराक्रम के लिए मशहूर गढ़वाल राइफल्स के स्थापना दिवस (5 मई 1887 )के दिन हुई।

श्री बद्री विशाल जय के उदघोष व अपने आदर्श वाक्य दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष के साथ तमाम युद्ध व शांतिकाल में जगह जगह अपनी असाधरण सेवाओं से एक अलग ही पहचान बनाने वाली गढ़वाल राइफल्स की 1887 को 5 मई के ही दिन अल्मोड़ा में स्थापना हुई थी।

जिसे नवम्बर 1887 में कालौडांडा में भेजकर यहाँ स्थापित किया गया था। कालौडांडा का नाम बदलकर तत्कालीन लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर लैंसडाउन रखा गया। गढ़वाल राइफल्स का एक स्वर्णिम इतिहास है। गढ़वाल राइफल्स की 2 गढ़वाल से 22 गढ़वाल तक यूनिट है तो जोशीमठ में स्थाई रूप से गढ़वाल स्काउट्स है,तो वहीं 121 इको व 127 इको बटालियन भी है।साथ ही गढ़वाल राइफल्स के वीर 14 आरआर,36 आरआर व 48 आरआर में अपनी सेवाएं देते हैं।वहीं 2 प्रादेशिक सेना भी गढ़वाल राइफल्स के तहत है।

लैंसडाउन में गढ़वाल राइफल्स का ट्रेनिंग सेंटर है जिसमे अल्फा,ब्राबो,चाल्डी,डेल्टा कम्पनी में रिक्रूटमेंट होती है,एक कम्पनी के रिंक्रूट कोटद्वार में भी रहते हैं हालांकि सभी टेस्ट लैंसडाउन में ही संपन्न होते हैं,जिसके बाद कसम परेड होती है,तब जाकर एक रंगरूट जवान के रूप में तैयार होता है।

लैंसडाउन में किचनर लाइंस,मैनवरिंग लाइन्स, ईवट लाइंस, टिपिन टॉप,राठी टॉप,झारापानी,कालेश्वर,रेजिमेंटल का दुर्गा मंदिर,रिकॉर्ड ऑफिस,भर्ती कार्यालय,भवानी दत्त जोशी स्टेडियम,सीचक्यू,डिपो कम्पनी आदि मुख्य जगह है जहाँ पर गढ़वाल राइफल्स के रिंक्रूट कड़ी ट्रेनिग के बाद एक मजबूत जवान के रूप में तैयार होते हैं।वीर गब्बर सिंह नेगी,दरबान सिंह ,जसवंत सिंह रावत,लाट सूबेदार बलभद्र सिंह,चन्द्र सिंह गढ़वाली,अशोक चक्र विजेता भवानी दत्त जोशी आदि अनेकों वीरों ने गढ़वाल राइफल्स के मान सम्मान को अपनी वीरता शूरता से पूरी दुनिया मे बढ़ाया है।

नूरानांग हो या टीथवाल हो द्रास हो या बटालिक आदि युद्ध क्षेत्रों में गढ़वाली वीरों की वीरता दशकों से जीवंत रूप में मौजूद है।स्थापना दिवस पर पुनः गढ़वाल राइफल्स के जांबाजों को,पूर्व व सेवारत सैनिकों, अधिकारियों व उन सभी के परिवारों को गढ़वाल राइफल्स के स्थापना दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं,देश के लिए अपनी शहादत देने वाले वीर सपूतों को कोटि कोटि नमन,गढ़वाल राइफल्स के वीर सदैव आगे बढ़ते रहें व गढ़वाल व गढ़वालियों के नाम को सदैव ऊंचा करते रहें। भगवान बद्री विशाल लाल की कृपादृष्टि सदैव हमारे वीरों पर बनी रहे।

बोल बद्री विशाल लाल की जय।

लेख- पूर्व सैनिक सोबन सिंह कैंतूरा