नेताओं के चुनाव जीतने के बाद जनता के प्रति गैरजिम्मेदार रवैए ने चुनाव में उतरने के लिए किया मजबूर: उषा रावत
ऋषिकेश। राजनीतिक दलों और नेताओं के चुनाव जीतने के बाद जनता के प्रति गैरजिम्मेदार रवैए ने चुनाव में उतरने के लिए मजबूर किया। जनता के साथ हो रहे छल से पीड़ा होती है।ये कहना है ऋषिकेश विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी उषा रावत का। शीशमझाड़ी स्थित आवास पर उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों और नेताओं के रवैए ने उन्हें चुनाव मैदान में उतरने के लिए मजबूर किया।
राज्य आंदोलनकारी और सामाजिक सरोकारों से गहरी से जुड़ी उषा रावत ने किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा कि वो राजनीतिक दल से जुड़ी रही। राजनीतिक दल के लिए वोट मांगे। जब लोगों का काम करवाने नेताओं के पास गए तो निराश होना पड़ा।
एक सामाजिक कार्यकर्ता का ऐसा सर्ववाइव करना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि न तो वो किसी के कहने से चुनाव लड़ रही हैं और न ही किसी को लाभ और किसी को नुकसान पहुंचाने के उददेश्य से। वो लोगों तक संदेश देना चाहती हैं कि काम न करने वाले नेता को पहचाने।
कोई सिर्फ इसलिए वोट पाने का हकदार नहीं हो जाता कि वो कि किसी राजनीतिक दल का प्रत्याशी है। विधायक/सांसद या कोई भी जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जिम्मेदार होता है न कि राजनीतिक दल के प्रति।
उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने पर वो आईडीपीएल के रिवाइवल, गर्ल्स डिग्री कॉलेज, महिला हॉस्पिटल, पार्किंग, ट्रांसपोर्ट नगर, खांडगांव, कष्णनगर आदि कॉलोनियों का विनियमितीकरण, सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली, शहीद स्मारक हेतु भूमि, गंगा की धारा को त्रिवेणीघाट पर लाने, वास्तविक राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण और सम्मान के लिए काम करेंगी।