पशुओं में लंपी बीमारी फैलने से पशुपालक परेशान
डोईवाला- पशुओं में फैल रही लंपी बीमारी को देखते हुए डोईवाला के पशुपालकों में भी दहशत का माहौल बना हुआ है हरिद्वार ऋषिकेश क्षेत्र के बाद अब यह बीमारी डोईवाला में भी अपने पैर पसार रही है वही आज पशुपालकों ने डोईवाला के किसानों के साथ मिलकर उप जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर इस बीमारी की रोकथाम के लिए कारगर उपाय करने की गुहार लगाई है ।
यह बीमारी पशुओं में काफी दिनों से फैल रही है पर पशुपालन विभाग इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है । पशुपालन विभाग के पास अभी तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई कारगर उपाय नहीं अपनाए जा रहे हैं जिस पर पशु स्वास्थ्य चिकित्सक का कहना है कि बीमारी की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा हैं जिस भी जानवर को या बीमारी हो रही है वह स्वतः ही पांच सात दिनों में ठीक हो रहे हैं फिर भी विभाग द्वारा इसके लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है हमारे पास जल्द ही टीके उपलब्ध हो जाएंगे, घर घर जाकर हर पशु को टीका लगाने का अभियान चलाया जाएगा साथही पशुपालकों को जागरूक भी किया जाएगा ।
क्या है ये लंपी बीमारी
गांठदार चर्म रोग वायरस (एलएसडीवी) या लंपी रोग नामक। इस वायरस के संक्रमण के बाद पशु को तेज बुखार आता है. बुखार आने के बाद उसकी शारीरिक क्षमताएं गिरने लगती हैं. कुछ दिनों बाद संक्रमित पशु के शरीर पर चकत्ते के निशान उभर आते हैं.लंपी वायरस एक गाय से दूसरी गाय के सिर्फ संपर्क में आने पर ही फैल रहा है. लंपी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है. इससे पशुओं में तमाम लक्षणों के साथ उनकी मौत भी हो सकती है.
यह बीमारी तेजी से मवेशियों में फैल रही है. इसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ (एलएसडीवी) कहते हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स के बाद अब यह दुर्लभ संक्रमण वैज्ञानिकों की चिता का कारण बना हुआ है. इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को टीका लगाया जा रहा है. वहीं रोग से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं.