ऋषिकेश एम्स की व्यवस्थाओं पर पूर्व कबीना मंत्री मोहन सिंह रावत ने क्यों उठाएं सवाल ?
ऋषिकेश: रविवार को इंदिरानगर, ऋषिकेश में सूबे के पूर्व काबीना मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने एक प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि एम्स, ऋषिकेश स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है। लिहाजा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायकों और सांसदों को बिगड़ती स्वास्थ सेवाओं की ओर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में केंद्र सरकार को पत्र के माध्यम से अपनी पीड़ा बताएंगे। साथ ही एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए भी मांग करेंगे।
उन्होंने बताया कि बीते शनिवार की सुबह वह शुगर बढ़ने की वजह से देहरादून से अपना इलाज कराने एम्स ऋषिकेश पहुंचे। इस दौरान इमरजेंसी में उन्हें भर्ती किया गया। कई ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए लेने के बाद चिकित्सकों ने उनको सिटी स्कैन कराने की सलाह दी। उनका आरोप है कि सीटी स्कैन होने के बाद रिपोर्ट उनको तीन दिन में देने की बात कही गई। उन्होंने सवाल किया कि इमरजेंसी में भर्ती मरीज को यदि रिपोर्ट तीन दिन बाद मिलेगी तो वक्त पर इलाज कैसे होगा। कहा कि इमरजेंसी इलाज के दौरान उन्होंने अपने साथ मौजूद पत्नी मुन्नी रावत के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्राइवेट वार्ड उपलब्ध कराने की अपील की।
मोहन सिंह रावत के द्वारा ऋषिकेश एम्स की व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े कर दिए गए। जिसको लेकर उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और अपने साथ हुए एम्स के कर्मचारियों द्वारा दुर्व्यवहार की बात कही ।
मोहन सिंह रावत के साथ एम्स में हुए गलत व्यवहार की पड़ताल करने हमारे संवाददाता पहुंचे ऋषिकेश एम्स।
वहां उन्हें पता चला कि शनिवार को 9 बजे मोहन सिंह रावत एम्स पहुंचे, उनको इमरजेंसी में एडमिट किया गया और जहां उनकी कई जांचे करवाई गई। साथ में सिटी स्कैन करवाया गया। जिसकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आनी थी। करीब 5 घण्टे इमरजेंसी में रहने के बाद उनको आईपीडी में जनरल मेडिसिन वार्ड में एडमिट किया गया ।
इस बाबत संपर्क करने पर एम्स के पीआरओ हरीश थपलियाल का कहना है कि जैसे ही हमे पता चला कि पूर्व केबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत आ रहे हैं तो मैंने और मेरी टीम मौके पर पहुंची इमरजेंसी वार्ड में स्पेशली उनको बेड दिया गया जबकि उनकी समस्या शुगर से सम्बंधित थी उनकी एमआरआई कंट्रास्ट जांच में करीब एक से डेढ़ घंटे का समय लगना था। यहां सभी जांचें होने के बाद उनको शाम चार बजे सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया। उनके परिजनों ने निजी वार्ड उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन तब वार्ड का खाली नहीं था। करीब नौ बजे शाम वार्ड खाली हुआ तो उनसे शिफ्ट होने का अनुरोध किया गया, लेकिन वह लामा (लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) लेकर अस्पताल से चले गए। फिर भी उनकी शिकायत पर अस्पताल प्रशासन मामले की जांच कर रहा है। हमारे लिए सभी मरीज महत्वपूर्ण हैं।
बरहाल पूर्व केबिनेट मंत्री रहे मोहन सिंह रावत अपना इलाज करवाने आये थे, लेकिन एम्स की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते उठाते अपनी बीमारी को भूल गए और एम्स की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए प्रेस वार्ता बुला डाली।