पौड़ी: जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कसरत अब रंग लायी, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर घटी। देखिए पूरी रिपोर्ट*
पौड़ी : स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और जच्चा बच्चा की सुरक्षा को लेकर की जा रही कसरत अब रंग लाने लगी है, अब महिलाएं घर पर प्रसव के स्थान पर संस्थागत प्रसव को अधिक तवज्जों देने लगी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 प्रवीण कुमार द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2019 से वर्तमान तक जनपद के विभिन्न चिकित्सालयों में 41836 संस्थागत प्रसव हुये है, वही 4849 प्रसूताओं का घर पर प्रसव किया गया।
कोविड में घर में प्रसव करने वालो की संख्या बढ़ी
वित्तीय वर्ष 2020 और 2021 में कोविड के कारण घर पर प्रसवों की संख्या मे इजाफा रहा परन्तु कोविड की समाप्ति के पश्चात वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह आंकडा पुनः घटकर 524 पर आ गया है। इसके साथ ही गभर्वती महिलाओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जाता है। वहीं एचआईएमएस पोर्टल के मानको के अनुसार प्र्रति 1000 शिशुओं पर 24 शिशु मृत्यु मानक रखा गया है, वहीं मातृ मृत्यु पर यह आंकडा प्रति लाख पर 99 है जिसमें जनपद पौड़ी में विगत 04 वर्षा का आंकलन किया जाय तो जनपद में मातृ मृत्यु 30 और 327 शिशु मृत्यु हुयी हैं जिनमें लगातार कमी देखने को मिल रही है।
गर्भवती महिलाओं को मिलती है यह सुविधाएं
गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव को लेकर 2005 में जननी शिशु सुरक्षा योजना शुरु की गयी थी समय के साथ ही जच्चा बच्चा की सुरक्षा हेतु योजनाओं के नाम स्वरुप व सुविधाओं में परिवर्तन के साथ ही सुविधाओं को लगातार बढ़ाया जा रहा है इसी तरह 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान योजना की शुरुआत हुयी जिसके तहत प्रत्येक माह की 9 तारीक को सभी गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क अल्ट्रासाउंड और समस्त जांच की सुविधा प्रदान की जाती है, इसी के साथ ही वर्तमान में गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को विभिन्न प्रकार की निःशुल्क सेवाये प्रदान करने हेतु 2019 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना सुमन कार्यक्रम की शुरुआत की गयी, कार्यक्रम के तहत जच्चा बच्चा की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच के साथ ही प्रत्येक माह की 9 तारीक से 1 सप्ताह तक अल्ट्रासाउंड एवं विभिन्न परीक्षण की सुविधा दी जाती है साथ ही जिन चिकित्सा इकाइयों में जांच व अल्टासाउड की सुविधा उपलब्ध नही है, वहां पर गर्भवती महिलाओं को वाहन सुविधा के साथ ही सुविधायुक्त चिकित्सा इकाई में चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है साथ ही सुरक्षित संस्थागत प्रसव पर ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थी को 1400 रु0 शहरी क्षेत्र में 1000 रु0 की धनराशि प्रदान की जाती है वहीं आशा कार्यकत्री को ग्रामीण क्षेत्र में 600 व शहरी क्षेत्र में 400 रु0 प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
102 खुशियों की सवारी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 प्रवीण कुमार ने कहा कि पौड़ी जनपद में बेस चिकित्सालय श्रीकोट एवं उप जिला चिकित्सालय श्रीनगर में टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग आदि जिलों से भी महिलायें प्रसव के लिए आती है, जिससे दबाब अधिक रहता है, विभाग का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्ता पूर्वक प्रसव पूर्व जांच की निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराने एवं बेहतर परामर्श के साथ ही सुरक्षित प्रसव की सुविधा प्रदान करना है। कार्यक्रम के सुचारु रुप से संचालन के लिए सभी आशा ए.एन.एम. को समय समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए चिकित्सा इकाई तक लाने हेतु निशुल्क वाहन सुविधा हेतु 108 सेवा एवं जच्चा बच्चा को घर ले जाने हेतु 102 खुशियों की सवारी की सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। गर्भावस्था के दौरान बीपी, शूगर, ज्यादा या कम वजन, खून की कमी से प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं बढ़ जाती हैं, यदि गर्भवती महिलायें अपना एएनसी रजिस्ट्रेशन के उपरान्त नियमित अन्तराल में चैकअप करवाती रहें तो प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिसमें खून की कमी वाली गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थो के सेवन के भी सलाह दी जाती है,, ऐसी महिलाओं की निगरानी प्रसव होने तक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा की जाती है साथ ही हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को विभाग की ओर अतिरिक्त विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती है।
शिशु एवम् मातृ मृत्यु दर में कमी आई है
अच्छी बात यह है कि, गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति महिलाएं अब जागरुक हो रही है। विभाग द्वारा मातृत्व सुरक्षा से सम्बन्धित कार्यक्रमों के सही तरह से क्रियान्वयन एवं सहायता से हम काफी हद तक संस्थागत प्रसवों को बढाने मात् एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में काफी हद तक सफल हुए हैं। जिसके लिए जनपद की समस्त आशा कार्यकत्री, एएनएम के विशेष योगदान के साथ ही वर्तमान समय में बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ का भी महत्वपूर्ण योगदान है।