प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने गीता जंयती पर सम्मेलन का किया अयोजन

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ऋषिकेश -प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय गीता नगर द्वारा गीता जयंती पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया ।सम्मेलन का आरंभ ऋषिकेश सेंटर की प्रमुख संचालिका बीके आरती द्वारा सभी अतिथियों का शब्दों से स्वागत कर किया गया ।

मुख्य अतिथि “आचार्य सिद्धार्थ किशन जी महाराज”( वेदशास्त्रों के ज्ञाता, ओमकारानंदा गीता सदन) एवं महामंडलेश्वर श्री श्री 108 स्वामी करण पाल गिरी जी महाराज (शिव धाम ऋषिकेश) विशिष्ट अतिथि राजयोगिनी बालब्रह्मचारिणी बी के मंजू दीदी जी (पंजाब सब जोन देहरादून की मुख्य इंचार्ज) एवं बी के मीना दीदी ( हरिद्वार सेंटर की प्रमुख संचालिका) ।

सर्वप्रथम मीना द्वारा मेडिटेशन के माध्यम से गीता की आध्यात्मिक अनंत यात्रा करवाई गई, बताया कि इस शोरगुल वाले संसार से दूर एक अलौकिक दिव्य संसार है जहां शांत वातावरण में परमात्मा शिव विकारों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे हम दैवी संपदा प्राप्त करके स्वयं का एवं विश्व का परिवर्तन कर सके।

मुख्य अतिथि करण पाल गिरी द्वारा बताया गया कि मैं समय-समय पर इस संस्था के कार्यक्रमों में उपस्थित रहता हूं एवं ब्रम्हाकुमारी मुख्यालय (मधुबन आबू) होकर भी आया हूं परंतु यहां का अनुभव एक अलग ही अनुभव है उन्होंने बताया कि मानव शरीर बहुत मूल्यवान है, गीता हमें सिखाती है कि किस प्रकार नकारात्मक विचारों पर विजय पाकर, सकारात्मक विचारों को जीवन में धारण किया जाए। 100 कौरव कोई व्यक्ति नहीं बल्कि हमारे विकार ही हैं, महाभारत युद्ध माना विकारों पर विजय पाना, गीता हमें अपने सबसे बड़े शत्रुओं काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार, को त्याग कर एक आध्यात्मिक रास्ते पर अग्रसर होना बताती है ।

दूसरे मुख्य अतिथि आचार्य सिद्धार्थ जी द्वारा बताया गया इस संस्था की विशेषता यहां का आध्यात्मिक और शांत वातावरण है । आज मनुष्य समय की कमी के कारण गीता पढ़ने के बजाय सिर्फ सार जानना चाहता है धर्म का अर्थ है धारणा, दैवी गुणों की धारणा , मनो-विकारों को दूर करके ही हम देव पद को प्राप्त कर सकते हैं। बुराइयों पर विजय पाकर ही परमात्मा से मिलन संभव है ।

पंजाब सब जॉन इंचार्ज बी के मंजू ने अंत में सबको गीता जयंती की बधाई दी एवं बताया कि जयंती वैसे तो हमेशा महापुरुषों व देवताओं की मनाई जाती है परंतु गीता महान ग्रंथ है सर्व शास्त्र शिरोमणि है अतः गीता सुनाने वाला भी सर्वोत्तम है इसीलिए कहा जाता है कि भगवानुवाच अर्थात भगवान के शब्दों का संग्रह इसीलिए यह सर्वोच्च है गीता में एक शब्द का गायन है । जबकि देवता हमारे 33 करोड़ है अतः एक शिव ही है जो अनंत है, ज्ञान, प्रेम, व सुख का सागर है।

कार्यक्रम का संचालन राजयोगी भ्राता बी के सुशील भाई द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया उन्होंने बताया कि गीता का सार सिर्फ 3 शब्दों में समाया है, पढ़ाई, लड़ाई, व कमाई। पढ़ाई से शक्ति, लड़ाई से विकारों से मुक्ति, व दिव्य गुणो से कमाई ही गीता का सार है।