ब्याज दरें घटने से किसे मिलती है खुशी और किसको मिलता है गम
नई दिल्ली। देश के केंद्रीय बैंक यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बृहस्पतिवार को ब्याज दरों में कमी का एलान कर बहुत दिनों बाद राहत भरी खबर दी है। इससे पहले रिजर्व बैंक कई बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर चुका था। इसके मद्देनजर उसका ताजा फैसला न सिर्फ उपभोक्ताओं के लिए बल्कि सरकार के लिए भी खुशी लेकर आया है। हालांकि यह एक ऐसा फैसला है जिससे कई लोग खुश है तो ढेर सारे लोग नाराज और दुखी भी है। आखिर ऐसा क्यों है?
किन लोगों को मिलती है खुशी
दरअसल, रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में कटौती की घोषणा के बाद बैंकों पर अपनी ब्याज दरें कम करने का दबाव बढ़ता है और ज्यादातर बैंक इसका पालन करते हुए दरों में कमी भी कर देते हैं। इससे होम लोन और पर्सनल लोन लेने वाले आम लोग और अपने काम-धंधे, फैक्ट्रियों और उद्यमों के लिए कर्ज लेने वाले व्यवसायी और उद्योगपति खुश हो जाते हैं क्योंकि उनकी कर्ज की लागत कम हो जाती है। इससे आम आदमी की जेब में पहले से ज्यादा पैसे आते हैं जबकि व्यवसायी और उद्यमी के लाभ में बढ़ोतरी होती है।
कौन होता है दुखी
बहरहाल, रिजर्व बैंक का यह फैसला उन लोगों के लिए गम लेकर आता है जो बैंक में पैसे जमा करते हैं। उन्हें अपनी जमाओं पर पहले से कम ब्याज मिलता है। इससे उनकी आमदनी प्रभावित होती है। खासकर रिटायर होने के बाद सिर्फ पेंशन पर जिंदगी बसर कर रहे बुजुर्गों पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है क्योंकि उन्हें अपनी जमा राशियों पर पहले से कम ब्याज मिलता है।
ब्याज दरें बढ़ें तो क्या होगा
इसी तरह जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है जो होम लोन और वाणिज्यिक लोन लेने वाले ग्राहकों में निराशा छा जाती है। वे अपनी भविष्य की बढ़ती देनदारियों की चिंता में दुबले होने लगते हैं। लेकिन ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पेंशनरों और आम जमाकर्ताओं के चेहरे खिल जाते हैं क्योंकि उन्हें अपनी जमाराशि पर पहले से ज्यादा आमदनी होने लगती है।
क्यों बदलती हैं ब्याज दरें
अब आप सोच रहे होंगे कि पिछले कई मौकों पर ब्याज दरें बढ़ाने वाले रिजर्व बैंक ने अचानक उन्हें घटाने का फैसला क्यों किया। इसके पीछे मांग और आपूर्ति (demand and supply) की ताकतें काम करती हैं। यानि अर्थव्यवस्था में लोन की मांग और निवेश कम होने पर उसे बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कमी करता है। इसमें मुद्रास्फीति यानि महंगाई की दर का भी ख्याल रखा जाता है। अगर केंद्रीय बैंक को लगता है कि महंगाई की दर भविष्य में नियंत्रित रहेगी तो वह ब्याज दरें घटाने का फैसला करता है। इसी तरह अगर लोन की मांग और निवेश ज्यादा होने पर महंगाई बढ़ने लगती है तो उसे काबू में लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई जाती हैं।