भू-कानून पर आधारित फ़िल्म ‘भूमि’ के लिए कलाकारों की तलाश। ऋषिकेश में लिए गए ऑडिशन
भूमि फिल्म के कलाकारों की तलाश की जा रही है। उत्तराखण्ड के स्थानीय कलाकारों को दिया जा रहा है मौका।
बगोट आर्ट एंड फिल्म बैनर तले गढ़वाली फिल्म भूमि बनने जा रही है. उसी फिल्म के लिए रविवार को प्रेस क्लब में ऑडिशन लिए गए. जिसमें हर वर्ग के कलाकारों ने प्रतिभाग किया. प्रसिद्द फिल्म मेकर किशना बगोट यह फिल्म बना रहे हैं. शुरुवाती दौर में अलग-अलग जगहों पर ऑडिशन हो रहे हैं उसी क्रम आज ऋषिकेश में ऑडिशन हुए.
अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष ड़ॉ राजे सिंह नेगी ने शाल ओढ़ाकर एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया
उत्तराखंडी फिल्मों के निर्माता,निर्देशक प्रसिद्ध हास्य कलाकार किशना बगोट को अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष ड़ॉ राजे सिंह नेगी ने शाल ओढ़ाकर एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया। भू कानून पर आधारित बनने जा रही उत्तराखंडी फीचर फिल्म भूमि के ऑडिशन हेतु तीर्थ नगरी ऋषिकेश प्रेस क्लब में पहुँचे लेखक एवं निर्देशक किशना बगोट को गढ़वाल महासभा ने उनके द्वारा उत्तराखंड की बोली,भाषा,साहित्य, लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने हेतु सम्मानित किया।
ऋषिकेश प्रेस क्लब में वार्ता करते हुए उन्होंने बताया उनकी आगामी फिल्म भूमि जो की भूमि कानून, भूमि की खरीद फरोख्त पर आधारित है और उससे उत्तराखंड वासी कितना प्रभावित हो रहा है उस पर केंद्रित है.एक पढ़ा लिखा परिवार है जो गाँव में रहता है और उसे अपने भूमि से प्यार है और उसकी जमीन भूमाफियां की नजरों में है.
इसी ताने बाने को लेकर फिल्म की स्टोरी आगे बढ़ती है. राज्य से कैसे पलायन हो रहा है और ‘भूमि’ सड़कों के किनारे, शहरों के किनारे या फिर कोई पर्यटक, धार्मिक स्थल है वहां की भूमि कैसे औने-पौने दाम में बेच दी जाती है भू माफियां को. उनका कहना है लोगों को एक सन्देश देना जागरूक करना उनका मकसद है. सन्देश है, फिल्म के माध्यम से अगर जमीन लोगों के पास नहीं रही तो तो वे कहीं के नहीं रहेंगे. मैदानी क्षेत्रों के साथ-साथ अब पहाड़ों में भू माफियां घुसने लगे हैं ऐसे में जो पहाड़ की आत्मा है वह ख़त्म हो जाएगी. लोगों को लालच, गलत जानकारी या फिर कब्जे, धमकाकर कैसे न कैसे जमीन हथिया लो. उन्होंने इसको गंभीर समस्या बताया. बगोट ने कहा कि स्क्रीन नहीं मिलती क्षेत्रीय फिल्म मेकर को. यानी की कोई गढ़वाली/कुमाउँनी फिल्म रिलीज होती है उत्तराखंड में तो उसको तवज्जो न देकर सरकार बड़े बजट की फिल्म हिंदी या अन्य भाषा की जो होती है उसको स्क्रीन मिल जाती है आसानी से. हमें नहीं मिल पाती. क्षेत्रीय भाषा की फिल्म आती है तो सरकार को सहयोग करना चाहिए. तभी क्षेत्रीय कलाकार और फिल्म आगे आ पाएंगी.उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उसे सही प्लैटफॉर्म नहीं मिल पाता है.
बगोट ने बताया फिल्म दो से लेकर तीन तक की बजट की है. क्षेत्रीय फिल्म जिसे अच्छा बजट वाली कहा जा सकता है. जहाँ तक बड़े चेहरों की बात है उन्होंने कहा अभी बात चल रही है. अच्छी और आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जायेगा फिल्म मेकिंग में. फिल्म में तीन गाने हैं और संगीत के लिए इंडियन आइडल फेम पवनदीप राजन जो खुद उत्तराखंड के चम्पावत जिले के हैं और जुबिन नौटियाल विकास नगर से जो हैं, दोनों का नाम काफी ऊंचा है संगीत की दुनिया में. उम्मीद है इन दोनों के साथ बात फाइनल हो जाएगी. स्टार कास्ट की बात करें तो बगोट ने बताया जल्द इसको फाइनल कर लिया जायेगा. शूटिंग, गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार के अलावा दिल्ली और मुंबई में होनी है. पोस्ट प्रोडक्शन का काम भी मुंबई में होगा. इसका निर्देशन किशना बगोट कर रहे हैं, स्क्रिप्ट भी उन्होंने खुद लिखी है. बगोट उत्तराखंड के प्रमुख हास्य कलाकारों में से एक हैं।
किशना बगोट की फ़िल्में-
नंदू की बौजी, चौली,हरपना , बुवारी बाकी बात की,लहालसा,सुंडूर, गंगा से गैरी, जोग संजोग, बुग्साद विद्या, जग्वाल , ब्वे,
बिनसर महादेव, पिछौड़, आस, वोट फॉर बगोट, घर जवायीं (कुमाउँनी), नौना से प्यारु नाती,फाँचू, बगोट पकड़े गे ,डोर ममता की, एसेंसिअल मर्डर, लज्जो, घपतालिश, नंदू
किशना बगोट ने लगभग 24 से ज्यादा फ़िल्में बनाई हैं साथ ही कई फिल्मों और नाटकों में भी काम किया है. वे हास्य कलाकार रहे हैं और मझे हुए लोक कलाकार तो हैं ही साथ ही विजन भी उन्होंने सामने रखा.
इस दौरान समाजसेवी डा. राजे सिंह नेगी, उत्तम असवाल, समाजसेविका कुसुम जोशी, रेखा भंडारी, चंद्रमोहन जदली, सूर्यचंद्र चौहान, गुरप्रीत कपलवान, अशोक बलोदी, अनिल शर्मा आदि लोग मौजूद रहे.