वर्षों से IDPL ऋषिकेश में बन रहे हैं रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले, इस बार काफी महंगा हुआ है पुतला बनाना। देखिए वीडियो
दशहरा विजय का प्रतीक है, अधर्म पर धर्म की जीत या बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। रावण, कुंभकर्ण , मेघनाथ के पुतलों का दहन कर एक संदेश दिया जाता है कि बुराई का अंत भी बुरा ही होता है। ऋषिकेश के आईडीपीएल में राम मंदिर के पीछे सन् 1964 से यह पुतले बनते आए हैं । दिलचस्प बात है कि मुस्लिम परिवार के द्वारा इन पुतलों को बनाया जाता है। इस परिवार की तीसरी पीढ़ी यहां पहुंची है पुतले बनाने के लिए। कोरोना काल के बाद महंगाई की मार इन पुतलों पर भी पड़ी है पुतला बनाना महंगा हुआ है इस बार। ऋषिकेश के विभिन्न क्षेत्रों में ये पुतले दहन किए जाते है जहां इनका दहन किया जाता है , त्रिवेणी घाट, लक्ष्मनझूला, भारत विहार, रानीपोखर और IDPL ।
इस बार कीमतों में आई तेजी का प्रभाव रावण के पुतले के निर्माण की लागत पर पड़ रहा है। जिसके चलते जो रावण का पुतला बीते साल लगभग 25 हजार रुपये में तैयार हुआ था। वही पुतला इस बार लगभग 30 से 35 हजार में तैयार हो रहा है। इस बार कारीगरों ने 14 रावण के पुतले बनाए है। बांस, लोहे की तार, क्विंटलो की मात्रा में न्यूज पेपर, कलर पेपर, गट्टे , आटे की लुई , साड़ियों से मिलकर ये पुतले तैयार किए जाते है।
आइए देखिए वीडियो। कारीगरों से बातचीत की उत्तराखंड टाइम्स ने।
मोहमद जिसान ने बताया कि दशहरा के मौके तैयार किए जाने वाले रावण के पुतले की कीमत उसकी लंबाई के अनुसार ही तय की जाती है। अधिकतर लोग 35 फीट से लेकर 40 फीट तक का रावण का पुतला तैयार करवाते हैं। जिसमें 35 फीट के पुतले की कीमत लगभग 35 हजार रुपये तथा चालीस फीट के पुतले की कीमत लगभग 37 हजार रुपये है। उनका कहना था कि एक माह की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुआ रावण का पुतला जब कुछ ही मिनट में जल कर स्वाह हो जाता है। तो मन में एक टीस जरूर उठती है परंतु यह सोच कर खुशी भी होती है कि जो कोई भी बुरे कर्म करता है। उसे सजा जरूर मिलती है।