शरद पूर्णिमा के दिन निकाली गई भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा, हरे कृष्णा भजन पर थिरके भक्तों का जनसैलाब

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ऋषिकेश-

शरद पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा मधुबन आश्रम से निकली गई जिसमे भक्तों की उमड़ी जनसैलाब हरे कृष्णा हरे रामा भजन पर थिरके रथ यात्रा इससे पूर्व आश्रम के परमाध्यक्ष परमानंद दास महाराज, कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल,मेयर अनिता ममगाई, कृष्णाचार्य महाराज, महंत वत्सल शर्मा, पंडित रवि शास्त्री आदि ने भगवान जगन्नाथ की विधिवत पूजा-अर्चना की |

इस बार रथयात्रा के रूट में भी बदलाव हुआ इस बार नगर पालिका में समापन नहीं बल्कि सिंह सभा गुरद्वारा पर समापन हुआ यात्रा का फिर भंडारा किया गया।

इस बार खास तौर पर देखने को मिला केरल से एक स्पेशल बनाया था यहां पर रथ के आगे आगे वह बैंड चल रहा था उसके अलावा एक बैंड बंगाल से भी आया था जो यात्रा का प्रमुख आकर्षण केंद्र रहे।

रविवार को मुनिकीरेती स्थित मधुबन आश्रम से भगवान जगन्नाथ की 25 वीं भव्य शोभा रथयात्रा निकाली गई सर्वप्रथम मंदिर परिसर में परमाध्यक्ष परमानंद दास महाराज के द्वारा भगवान जगन्नाथ जी की विधिवत पूजा अर्चना कर 56 भोग लगाया गया इसके साथ रथयात्रा प्रारंभ हुई यह रथयात्रा कैलाश गेट ,पुरानी चुंगी, चंद्रभागा पुल ,त्रिवेणी घाट चौराहे ,रेलवे रोड से होते हुए गुरुद्वारा सिंह सभा पर जाकर समाप्त हुई।जहां-जहां जगन्नाथ रथ यात्रा का पड़ाव होता रहा भक्तों ने जगन्नाथ रथ यात्रा पर जमकर पुष्प वर्षा की भगवान जगन्नाथ जी के रथ को भक्तजन रस्सो की सहायता से खींच रहे थे और रथ के आगे झाड़ू भी लगा रहे थे कहा जाता है ऐसा करने से भगवान की शरण में जाते हैं और दोबारा इस संसार में जन्म नहीं होता है भगवान उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं हरे कृष्णा हरे रामा भजन ढोल दमाऊ पर भक्तों का सैलाब जमकर थिरक रहे थे नजारा ऐसा लग रहा था मानो भक्तजन भगवान में खो गए हो या उन्हें भगवान मिल गए हो

रथयात्रा में ऋषिकेश ही नहीं वृंदावन, केरल,कोलकाता से भक्तजन आए हुए थे और भगवान जगन्नाथ रथयात्रा में नाचते ,गाते,थिरकते हुए भक्ति में लीन होकर कितनो के आँखों से आँशु आ गए यह कहते हुए की बहुत आनन्द आ रहा है मानो हमे भगवान मिल गये इस प्रकार से भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा पूर्ण हुई।

क्यों निकाली जाती है भगवान जगरनाथ जी की रथ यात्रा पौराणिक…….

कहा जाता है कि रथयात्रा से भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. इस वजह से पुरी में जगन्नाथ मंदिर से 3 रथ रवाना होते हैं, इनमें सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथजी का रथ होता है. मान्यता है कि एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर देखने की इच्छा जाहिर की तो वो उन्हें भाई बलभद्र के साथ रथ पर बैठाकर ये नगर दिखाने लाए थे. कहा जाता है कि इस दौरान वो भगवान जगन्नाथ की अपने मौसी के घर गुंडिचा भी पहुंचे और वहां पर सात दिन ठहरे थे. अब पौराणिक कथा को लेकर रथ यात्रा निकाली जाती है ।