शिवरात्रि का पर्व है जो दोपहर 2:30 बजे से अगले दिन दोपहर 12:00 बजे तक चतुर्दशी की तिथि तक है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल

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रुड़की रिपोटर इरफान अहमद
सह संपादक अमित मंगोलिया
रूड़की।श्री शिव शक्ति ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने शिवरात्रि की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि शिवरात्रि को शिव भगवान का पार्वती के साथ विवाह हुआ था तथा चतुर्दशी को शिवलिंग प्रकट हुआ।उन्होंने कहा कि शिव शक्ति के मिलन की रात्रि शिवरात्रि कल्याणकारी रात्रि है तथा 30 जुलाई को शिवरात्रि का पर्व है,जो दोपहर 2:30 बजे से अगले दिन दोपहर 12:00 बजे तक चतुर्दशी की तिथि तक है।यह बहुत ही शुभ योगों में शिवरात्रि का पर्व पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि शिवरात्रि को व्रत करें तथा रुद्राभिषेक करें। कालसर्प शांति करवाएं और रात्रि को चार प्रहर की पूजा का विशेष विधान है।उन्होंने कहा कि रात्रि पूजा और जागरण करने के साथ ही 108 बेल पत्री चढ़ाएं।दूध,दही,शहद,घी,मीठा,गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करें। आचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने बताया कि चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं,इसलिए चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है।त्रयोदशी और चतुर्दशी पूजा करने से शिव भगवान प्रसन्न होते हैं।30 जुलाई के दिन 2:30 पर विशेष शुभ समय आद्रा नक्षत्र रहेगा जो शिव को विशेष प्रिय है। श्रवण मास में शिव जी परिवार सहित पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं जो शिव की पूजा करता है उसका कल्याण होता है।उन्होंने बताया कि बेलपत्र,दूध,दही,शहद, घी,गन्ने का रस,आम का रस, मक्खन,गिलोय उसे शिव जी का अभिषेक करें,जिससे आपकी सब मनोकामना पूरी होगी।30 जुलाई दोपहर से 31 जुलाई तक दोपहर 12:00 बजे तक का अभिषेक का समय है और 30 जुलाई की रात्रि को चार प्रहर की पूजा अवश्य करें,जिससे सभी कष्टों का निवारण होगा तथा सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।