सावित्री वट पूर्णिमा के अवसर पर सुहागन महिलाओं ने बट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा अर्चना की।

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बृहस्पतिवार को वट सावित्री पूर्णिमा के अवसर पर पौराणिक परंपराओं के अनुसार सावित्री वट करने से वैवाहिक जोड़े को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे कि अपना वैवाहिक जीवन बड़ी कुछ शादी के साथ जीवन व्यतीत करते हैं इस सती वत् सभी सुहागिनी महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बड़ के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करती हैं दीप धूप जलाकर बड़ के वृक्ष के नीचे पूजा आराधना करने से उनकी परिवारिक मनोकामनाएं पूरी होती है बताया जाता है कि बड़की पूजा के बाद उसकी परिक्रमा करने से भी परिवार में सुख शांति समृद्धि धन-धान्य की वृद्धि होती है। बृहस्पतिवार को सभी सुहागन महिलाओं ने सावित्री वट पूर्णिमा सावित्री जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण बचा कर लाई थी यमराज भगवान से जिसको सावित्री व्रत पूजन के रूप से जाना जाता है सावित्री वट पूर्णिमा पर जो भी सुहागन महिला पूजा अर्चना की पौराणिक समय से यहां सती वत् परंपरा चलती आ रही है। इस रात में बट वृक्ष की पूजा अर्चना करनी चाहिए जिससे कि आपके वैवाहिक जीवन में हमेशा खुशहाली भरा समय व्यतीत हो और परिवार में हमेशा खुशियां ली धनधान्य इस नदी का लाभ होता है इसीलिए इस को सावित्री वट पूर्णिमा पूजन के नाम से जाना जाता है।