सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी – चमोली त्रासदी
उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित तपोवन सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने का प्रयास आज शनिवार को सातवें दिन भी जारी रहा। बचाव दल सुरंग में छेद करने में कामयाब रहा है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि तपोवन की बड़ी टनल में से मलबे को हटाया जा रहा है। सुरंग को करीब 140 मीटर खोदा जा चुका है। इसके 71 मीटर नीचे एक छोटी टनल है जिसमें ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था। तब एनटीपीसी की तरफ से जानकारी मिली की वहां मलबा है। लेकिन वहां प्रैशर हाई नहीं है। ऐसे में अब वहां एक फूट तक ड्रिलिंग की जाएगी।
चिंता की बात है कि सुरंग के अंदर गाद मिलने से टनल में कैमरा डालने का प्रयोग सफल नहीं हो पाया। अब बचाव दल इस छेद को बड़ा करने में जुटा हुआ है। इधर, जेसीबी से मलबा हटाने के लिए डम्पर भी लगा दिए गए हैं। तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का प्रयास जारी है। पहले पांच दिन सिर्फ जेसीबी ही मलबा हटाने का काम कर रही थी, अब जेसीबी के साथ सुरंग में डम्पर भी भेजे गए। जो मलबा बाहर लाने में लगे रहे। इसके साथ ही नई मशीनों के साथ ड्रिल का प्रयास भी किया। आपदा के छह दिन बाद भी 167 लोग लापता हैं।
सुरंग में करीब पौने 12 मीटर ड्रिल करने के बाद, सुरंग में छेद हो गया है। लेकिन अंदर फिर गाद मिलने से कैमरा डालना संभव नहीं हो पाया। साथ ही गाद में ड्रिल मशीन भी काम नहीं कर पा रही है। इस कारण अब छेद का आकार बढ़ाया जा रहा है, ताकि कैमरा डालने के लिए खाली जगह मिल सके। फिलहाल फंसे लोगों तक पहुंच अब भी संभव नहीं हो पाई है।
गांव वालों ने दर्ज कराया विरोध
उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का काम जैसे जैसे लंबा खिंच रहा है, पीड़ित परिवारों का धैर्य भी जवाब देने लगा है। पीड़ित परिवारों के लोगों ने परियोजना स्थल पर प्रदर्शन कर धीमी गति से चल रहे अभियान पर सवाल उठाए। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मुश्किल से लोगों का गुस्सा शांत किया। तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को छह दिन से ज्यादा समय होने पर ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया।
सुरंग की मजबूती की चिंता
प्रशासन ने दूसरा विकल्प न बचने पर भारी मशीनों से सुरंग में ड्रिल का काम तो तेज कर दिया है, लेकिन इससे सुरंग की मजबूती को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। अधिकारियों को बिना पूरी योजना आनन – फानन में किए जा रहे ड्रिल को लेकर चिंता है। यही कारण है कि सुरंग में कम से कम लोगों को रखा जा रहा है।