हम विश्वकर्मा दिवस क्यों मनाते हैं, जानिए इसके पीछे की कहानी…….

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Uttrakhand Times :-दुनिया के पहले इंजीनियर सम्पूर्ण विश्व के रचयिता भगवान विश्‍वकर्मा  (Bhagwan Vishwakarma ) का जन्म दिवस 17 सितंबर को मनाया जाता है। उन्हें सृजन का देवता माना जाता है। आज 17 सितंबर को पूरे देश में विश्‍वकर्मा जयंती मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती है।

‘कन्या संक्रांति’ के दिन मनाया जाने वाला, विश्वकर्मा पूजा भगवान ब्रह्मा के पुत्र और दुनिया के मुख्य वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। ईश्वरीय रचनाकार को समर्पित यह शुभ दिन शुक्रवार को पूरे देश में मनाया जा रहा है।

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए हथियार बनाने के साथ ही पवित्र नगरी द्वारका का निर्माण किया था। ऋग्वेद ने उन्हें “दिव्य बढ़ई” के रूप में वर्णित किया और यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान, स्थापत्य वेद के साथ श्रेय दिया।

‘फर्स्ट इंजीनियर’, ‘इंजीनियर ऑफ द गॉड्स’ और ‘गॉड ऑफ मशीन्स’ के रूप में भी सम्मानित, यह त्योहार पूरे राज्यों में मनाया जाता है।’पंचांग’ के अनुसार विश्वकर्मा पूजा 2021 पूजा का शुभ मुहूर्त शुक्रवार सुबह 6:07 बजे से दोपहर 3:36 बजे तक है। शनिवार को। इस दिन लोग कारखानों, मिलों और कार्यशालाओं में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति रखते हैं और पूजा करते हैं।

आर्किटेक्ट, बढ़ई, इंजीनियर, मैकेनिक, मूर्तिकार, शिल्पकार, शिल्पकार, मैकेनिक, लोहार, वेल्डर और औद्योगिक और कारखाने के श्रमिकों सहित हर कोई, अपने-अपने व्यवसायों में सिद्धि के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए भगवान का सम्मान करने के लिए विशेष पूजा का आयोजन करता है।

भक्त कार्यस्थल पर नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं।

भगवान विश्वामित्र ब्रह्माजी के पुत्र वास्तु के संतान थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माजी ने संसार की रचना के बाद उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था।

विश्वकर्मा भगवान ने ही रावण की लंका, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, इंद्र के लिए वज्र, भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र बनाया था। इसके अलावा यमराज के कालदंड का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।

ऋग्वेद के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ही देव शिल्पी के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही की गई थी। पौराणिक युग के सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे। वज्र का निर्माण भी उन्होंने ही किया था।