वायु प्रदूषण बना वैश्विक मौतों का बड़ा कारण, भारत की स्थिति बेहद गंभीर
नई दिल्ली : स्वास्थ्य और पर्यावरण पर केंद्रित प्रतिष्ठित जर्नल लैंसेट की हालिया रिपोर्ट ने वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण आज भी दुनिया भर में मौतों और गंभीर बीमारियों का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। हर साल लाखों लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या विकासशील देशों, विशेष रूप से भारत की बताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वायु प्रदूषण से हर वर्ष लाखों लोगों की समय से पहले मृत्यु हो रही है। इसका सीधा असर लोगों के फेफड़ों, हृदय और दिमाग पर पड़ रहा है। अस्थमा, स्ट्रोक, कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले वर्षों में देश के स्वास्थ्य तंत्र पर भारी दबाव पड़ेगा।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोल और डीज़ल का अत्यधिक उपयोग है। इनके जलने से उत्सर्जित होने वाले सूक्ष्म कण (PM2.5) और जहरीली गैसें हवा को खतरनाक स्तर तक दूषित कर देती हैं। इसके अलावा, औद्योगिक इकाइयों, निर्माण कार्यों, और वाहनों से निकलने वाला धुआं भी स्थिति को और बदतर बना रहा है।
लैंसेट ने सुझाव दिया है कि भारत सहित सभी देशों को अब तेजी से ठोस कदम उठाने होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने, हरित क्षेत्रों को बढ़ाने और प्रदूषण नियंत्रण कानूनों को सख्ती से लागू करने की सिफारिश की गई है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार और नागरिक स्तर पर मिलकर कार्रवाई की जाए, तो वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और बीमारियों में भारी कमी लाई जा सकती है। फिलहाल, रिपोर्ट ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि साफ हवा अब सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन गई है।
