घंटाघर में AQI 171 पहुंचा, सांस के मरीजों के लिए खतरे की घंटी

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दीपावली से पहले देहरादून की हवा ‘खराब’ श्रेणी में पहुँच गई है। घंटाघर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 171 दर्ज किया गया। विशेषज्ञों ने दीवाली पर प्रदूषण के दोगुना होने और सांस के मरीजों को खतरे की चेतावनी दी है। निगरानी जारी है और लोगों से सावधानी बरतने को कहा गया है।

दीपावली से पहले ही राजधानी दून की हवा में जहर घुल गया है। बीते कुछ दिनों से शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) लगातार खराब हो रहा है। बीते शनिवार को घंटाघर क्षेत्र का एक्यूआइ 171 रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य सीमा से कहीं अधिक है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दीपावली के दिन यानि आज प्रदूषण का स्तर दोगुना पहुंच सकता है।

घंटाघर क्षेत्र में एक्यूआइ 171 पर पहुंचा, दीपावली पर और ऊपर जाने की आसार

वर्तमान स्थिति को देखते हुए सांस और फेफड़ों के मरीजों के लिए हालात खतरनाक हो सकते हैं। सर्द मौसम में हवा की गति धीमी पड़ने और पटाखों के धुएं के कारण वायुमंडल में धूल और धुएं के कण (PM 2.5 व PM 10) ठहर जाते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता और गिर जाती है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेश के 13 शहरों में वायु गुणवत्ता की 24 घंटे निगरानी शुरू की है। यह थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग 13 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक की जा रही है।

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण सांस के मरीजों के लिए खतरे की घंटी

देहरादून में इसके लिए घंटाघर, नेहरू कॉलोनी और दून विवि क्षेत्र में मापन केंद्र स्थापित किए गए हैं। क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने बताया कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए नगर निकायों के माध्यम से सड़क पर पानी का छिड़काव, ई-रिक्शा द्वारा जनजागरूकता अभियान और सोशल मीडिया के जरिए अपीलें चलाई जा रही हैं।


दीपावली पर बढ़ेगी चिंता


विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली की रात पटाखों के धुएं और सर्द मौसम के मेल से वायु गुणवत्ता और गिर जाएगी। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने नागरिकों से पटाखों का सीमित उपयोग करने और पर्यावरण मित्र दीपावली मनाने की अपील की है।


पांच दिन में बढ़ा प्रदूषण स्तर

तारीख, घंटाघर (एक्यूआइ), नेहरू कालोनी (एक्यूआइ)
18 अक्टूबर, 171, 128
17 अक्टूबर, 102, 93
16 अक्टूबर, 114, 103
15 अक्टूबर, 106, 98
14 अक्टूबर, 120, 102
(150 से अधिक एक्यूआइ सांस के रोगियों के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है)

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