भगवान विष्णु के जागरण पर्व पर हरिधाम में भक्ति का माहौल, सैकड़ों श्रद्धालु हुए शामिल
हरिद्वार-ऋषिकेश : हरिधाम आश्रम में रविवार को देव उठानी एकादशी का पावन पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ आश्रम में उमड़ पड़ी। पूरे परिसर में “हरि नाम संकीर्तन” और “जय श्री विष्णु” के जयघोष से वातावरण भक्तिमय बन गया। श्रद्धालुओं ने व्रत-उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की और धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

आश्रम प्रांगण में सजावट के विशेष प्रबंध किए गए थे। फूलों और दीपों से सजा मंदिर परिसर आकर्षण का केंद्र बना रहा। सुबह से ही विशेष पूजन, हवन और कथा का आयोजन शुरू हुआ, जिसमें संतों और कथावाचकों ने देव उठानी एकादशी का महत्व बताया। कथा के दौरान वामन भगवान की लीला का सुंदर वर्णन किया गया, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।कथावाचक ने बताया कि देव उठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, जिससे चार महीने से रुके हुए सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण आदि पुनः प्रारंभ किए जा सकते हैं। इस दिन को “प्रबोधिनी एकादशी” भी कहा जाता है और यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है।
भक्तों ने भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी माता की विशेष पूजा की। तुलसी विवाह का आयोजन भी आश्रम परिसर में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा श्रद्धालु शामिल हुए। विवाह समारोह का दृश्य अत्यंत मनमोहक था विधि-विधान से पूजा, मंत्रोच्चारण और आरती के साथ भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह संपन्न हुआ।
आश्रम के प्रमुख स्वामी ने प्रवचन के दौरान कहा कि देव उठानी एकादशी हमें यह संदेश देती है कि भक्ति, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से ही जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। उन्होंने उपस्थित भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि इस दिन किया गया पुण्य दोगुना फल देता है और जीवन में शांति लाता है।
कार्यक्रम के अंत में भव्य भजन-संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय भजन मंडलियों ने भक्तिगीत प्रस्तुत किए। “गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो” जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। देर रात तक चले इस भक्ति महोत्सव के अंत में सामूहिक आरती और दीपदान किया गया।
भक्तों के लिए प्रसाद और भंडारे की व्यवस्था भी की गई थी। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और ईश्वर से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।देव उठानी एकादशी का यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान का प्रतीक रहा, बल्कि समाज में भक्ति और एकता का संदेश भी दे गया।
