BKTC कर्मचारी संघ का बड़ा आरोप, अस्थायी कर्मियों के संयुक्त संघ को बताया अवैध

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मुख्य कार्याधिकारी के विरुद्ध की जा रही बयानबाजी को षड्यंत्र बताया

• बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की कहा कि कर्मचारियों के हित में हुए कार्य

• तीर्थ पुरोहितों ने मुख्य कार्याधिकारी के  मंदिर समिति में योगदान को सराहा

देहरादून/ऋषिकेश /गोपेश्वर / रूद्रप्रयाग: 17 अप्रैल। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी )कर्मचारी संघ ( मान्यता प्राप्त)ने अस्थायी कर्मियों के नाम से  प्रचारित हो रहे संयुक्त कर्मचारी संघ को गैर मान्यता प्राप्त एवं अवैध बताया इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र  भेज कर जांच की मांग की है तथा बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद  थपलियाल के विरुद्ध की जा रही  बयानबाजी को षड्यंत्र बताया। मंदिर समिति कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को पत्र भेज कर मंदिर समिति की स्थिति से अवगत भी कराया है‌।श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति संयुक्त कर्मचारी संघ की ओर से अध्यक्ष  विजेंद्र बिष्ट ने मुख्य सचिव को संबोधित पत्र में बताया कि  मंदिर समिति संयुक्त कर्मचारी संघ के नाम से  मुख्य सचिव को  प्रार्थना पत्र भेजा गया है जिसमें मुख्य कार्याधिकारी पर गलत आक्षेप लगाये गये है।कर्मचारी संघ का कहना है कि संयुक्त कर्मचारी संघ ( गैर मान्यता प्राप्त) ने झूठे एवं बेबुनियाद आरोप लगाये है।

कर्मचारी संघ ( मान्यता प्राप्त) ने इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव को अवगत कराया है कि संस्कृति, धर्मस्व, तीर्थाटन प्रबन्धन एवं धार्मिक मेला अनुभाग, देहरादून के कार्यालय ज्ञाप संख्या 895/VI/2021-83(1)2021 दिनांक 24 दिसम्बर 2021 द्वारा श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति कर्मचारी संघ को संघ के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा मन्दिर समिति में कार्यरत कार्मिकों के हित के लिए कर्मचारियों का मान्यता प्राप्त संघ संकल्पबद्ध है। कहा कि सोशल मीडिया पर प्रचारित  संयुक्त कर्मचारी संघ(अपंजीकृत )के नाम से प्रेषित  पत्र का  मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ घोर विरोध करता है तथा इस प्रकार से मन्दिर समिति एवं संघ की छवि धूमिल किये जाने  में लिप्त मंदिर समिति कार्मिकों के विरूद्ध कार्यवाही किये की जाने की मांग करता है‌।श्री बदरीनाथ- केदारनाथ कर्मचारी संघ ( मान्यता प्राप्त)ने अपने पत्र में कहा कि  वर्तमान में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति का गठन नहीं हुआ है और न ही व्यवस्थाओं के संचालन हेतु प्रशासक की नियुक्ति है, ऐसे में मन्दिरों के प्रशासन और संचालन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी  बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी है।श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर अधिनियम 1939 की सेवानियमावली और  सुसंगत धाराओं के अनुरूप मन्दिर व्यवस्थाओं से सम्बन्धित प्रशासनिक एवं वित्तीय निर्णय लिये जाने के सम्पूर्ण अधिकार स्वतः प्रभावी हो जाते हैं।

श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति में उत्तराखण्ड शासन द्वारा नियुक्त मुख्य कार्याधिकारी  विजय प्रसाद थपलियाल ने कार्यकुशलता से मन्दिर हित में प्रभावी कार्य किये जा रहे हैं, इसी कम में  कर्मचारियों को सेवागत लाभों के अन्तर्गत शासनादेशों के अनुरूप स्क्रीनिंग कमेटी गठित करते हुए एसीपी लाभ प्रदान किये गये तथा स्थायी कार्मिकों की पदोन्नति, अस्थाई कार्मिकों की वेतन विसंगति एवं नियमितिकरण के सम्बन्ध में विभागीय समिति गठित करते हुए कार्यवाही प्रारम्भ की गयी है।कुछ मंदिर समिति कार्मिकों द्वारा बनाये गये अवैधानिक  संयुक्त कर्मचारी संघ  के द्वारा स्वार्थवश मन्दिर हित में किये जा रहे कार्यों का निरंतर विरोध किया जा रहा है पूर्व में भी 27 मार्च को इनके द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया था तथा पहले भी मान्यताप्राप्त श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति कर्मचारी संघ ( मान्यता प्राप्त)द्वारा गैरमान्यता के अवैध संयुक्त कर्मचारी संघ की कार्यप्रणाली का विरोध दर्ज करते हुए संयुक्त कर्मचारी संघ नाम प्रयोग पर आपत्ति दर्ज की  थी। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ ने बताया कि  वर्तमान में श्री बदरीनाथ तथा श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रकिया चल रही है  अग्रिम दल धामों में कार्यरत है ऐसे में गैरमान्यता के  सयुंक्त कर्मचारी संघ के  द्वारा यात्रा तैयारियों की व्यवस्था में गतिरोध उत्पन्न किया जा रहा है जिससे श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मन्दिर समिति की छवि भी धूमिल की जा रही है। बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति कर्मचारी संघ  ( मान्यता प्राप्त) ने कहा है कि   समस्त हक-हकूकधारी एवं पण्डा समाज भी मन्दिर हित में मुख्यकार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल द्वारा मंदिर समिति में किये जा रहे सकारात्मक कार्यों के समर्थन में हैं।कर्मचारी संघ ( मान्यता प्राप्त) ने पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव से निवेदन  किया है कि इस प्रकार के पत्रों का संज्ञान न  लिया जाये। निजी स्वार्थवश पत्र प्रेषण करने वाले कार्मिक की विभागीय सेवा, वेतन आदि की जांच करते हुए उचित कार्यवाही की जानी आवश्यक है ताकि  श्री धामों एवं मन्दिर समिति की छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास  रुक सके।

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