कोतवाल और दरोगा के खिलाफ दर्ज मुकदमें का आधार बने मामले में शायद टीसी के तथ्य से चूक गए मंजूनाथ टीसी भी
इरफान अहमद
रानीपुर में तैनात पुलिस निरीक्षक साधना त्यागी और दरोगा हरपाल सिंह के रुड़की तैनात रहते फिरोज नामक युवक को अवैध हिरासत में रखने और उत्पीड़न करने को लेकर जो मुकदमा दर्ज हुआ है,उसका आधार बने मूल मामले की जांच में एक बड़ा और अहम तथ्य छुटा हुआ नजर आ रहा है। यह ऐसा अहम तथ्य है जो अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।
दरअसल दोनों पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाने वाले युवक व मुज्जफरनगर की युवती के खिलाफ पुलिस ने ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज किया था। इसी मुकदमे को युवक द्वारा झूठा बताया जा रहा है। यह भी सच है कि इस मामले को दर्ज कराने वाला वादी युवक गौरव शर्मा अपने बयान बदल चुका है और सूत्रों के अनुसार उसने कहा है कि उसने पुलिस के कहने पर यह मामला दर्ज कराया था। यहां तक मामले को लेकर जो जांच हुई वह अपने आप में कागजी तौर पर सही हो सकती है। हालांकि धरातल पर मामले को लेकर जो चर्चाएं हैं वह जांच रिपोर्ट और आरोप लगाने वाले युवक की पेश की जा रही छवि से ऐन उलट है। किंतु मामला कोई छोटा नही है तो ऐसे मामलों की जांच पक्के तौर पर सक्षम सबूतों और तथ्यों के साथ ही होती है। अब जब ऐसा है तो एक अहम तथ्य को इस प्रकरण में दरकिनार छोड़ दिया गया है। वह तथ्य यह है कि आरोप लगाने वाले फिरोज नामक युवक के साथ जिस युवती के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज हुआ था,उसके पास से जो पहचान पत्र पुलिस को मिले थे उसमें उसकी आयु अलग अलग थी। नाम न खोलने की शर्त पर सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए युवती के पैन कार्ड के फोटो में उसकी जन्मतिथि 20 अप्रैल 1998 है,जबकि आधार कार्ड के फोटो में 23 अप्रैल 1998 है। इन दोनों में तीन दिन का मामूली अंतर है,इसे तकनीकी गलती मान सकते हैं। किंतु फ़्लोरा पब्लिक जूनियर हाईस्कूल,30 फुटा रोड, दक्षिणी खालापार मुज्जफरनगर से दिनांक 28 मार्च 2015 को कक्षा सात पास करने के क्रम में जारी स्थानांतरण प्रमाणपत्र(टीसी) में युवती की उम्र में पूरे चार साल का अंतर आ गया है। जी हां इसमें उसकी जन्मतिथि 20 अप्रैल 2002 लिखी गयी है। इस तिथि के दृष्टिगत समझा जा सकता है कि जिस दिन फिरोज और इस युवती के खिलाफ ब्लैकमेलिंग का कथित फर्जी या असली जो भी मुकदमा दर्ज हुआ,उस दिन अगर यह युवती अपने पैन व आधार कार्ड को छुपाकर इस टीसी(स्थानांतरण) के आधार पर किसी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज कराती तो उसमें यह नाबालिग होती। यानि किसी खेल का इशारा तो मिलता है,जिसे समझने से शायद फिरोज द्वारा पुलिस पर आरोप लगाने सम्बन्धी मामले की जांच करने वाले ईमानदार आईपीएस अधिकारी मंजूनाथ टीसी भी चूक गए हैं।
(न्यूज़ में युवती के पैन कार्ड,आधार कार्ड और स्थानांतरण प्रमाण पत्र के प्रकाशित चित्रों में युवती की पहचान माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए हटा दी गयी है,जनहित में केवल उसकी जन्मतिथि के घालमेल को उजागर किया गया है।