“आपदा आई आपदा आई” आपदाओं का सच बताती है यह कविता
आपदा आई है,
आपदा आई है,
जनता को मुश्किलें,
बहुतो को मनभायी है,
नेता जी,
मंत्री,
ठेकेदार,
अफसर,
अभियंता,
सांसद,
विधायक और पार्षद,
जैसे सबने,
मुंह मांगी,
मन्नत ही पाई है,
आपदा आई है, आपदा आई है,
बह गए घर द्वार,
बह गई आशा,
टूट गए रोड,पुल,
सांसों की डोरियां,
बह गई गाड़ियां,
बह गए साजो सामान,
लड़की और लड़के की,
शादी के अरमान,
वर्षो से संचित,
निधि सब गंवाई है,
आपदा आई है, आपदा आई है,
शासन और प्रशासन की,
लापरवाही की कीमतें,
बस और बस,बस,
जनता ने चुकाई है,
हर तरफ शोर है,
फोटो का दौर है,
मंत्री जी ने दौरा किया,
वीडियो बनवाई है,
आपदा आई है, आपदा आई है,
जिसको पूछो,
जांच करेंगे,
इसको पूछो,
जांच करेंगे,
इसकी गलती,
उसकी गलती,
जिम्मेदारी,
अब तक,
तय नहीं,हो पाई है,
केंद्र,ने पैसे भेजे,
राज्य,अब खुश है,
साल भर फिर से,
मौज और मलाई है,
आपदा आई है आपदा आई है,
अपने साथ बहुत सारे,मौके भी लाई है,
पीएम ने दुख जताया,
सीएम ने दुख जताया,
गरीब की थाली तो,
दुख से भर आई है,
प्रधान ने दौरा किया,
राहत बटवाई है,
हुआ ऐसा क्यू भला ?
समझ न आई है,
एसडीएम,विधायक जी,
अफसर और अमले गए,
अलर्ट मोड में रहने की,
मुनादी करवाई है,
पेपर में न्यूज छपी,
राहत की बाते हुई,
युद्धस्तर पर अब,
बचाव कार्य जारी है,
आपदा के फंड की,
बंदरबाट जारी है.
आपदा आई है, आपदा आई है,
अपने साथ ढेर सारे,
मौके भी लाई है.
आपदा आई है, आपदा आई है.