भैया दूज पर स्नेह का उत्सव, आधुनिकता में भी कायम परंपरा की मिठास
रेखा भंडारी। दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का समापन भैया दूज के पवित्र पर्व के साथ होता है। यह दिन भाई और बहन के स्नेह, अपनापन और अटूट रिश्ते को समर्पित होता है। बदलते समय में भले ही जीवनशैली आधुनिक हो गई हो, लेकिन इस रिश्ते की मिठास आज भी उतनी ही गहरी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। बहन के स्नेह और सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने उसे वरदान दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसके भाई की आयु लंबी होगी। तभी से यह परंपरा भावनाओं के साथ जुड़ गई, जो आज भी हर घर में प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक बनी हुई है।
आज के समय में भले ही भाई-बहन एक ही छत के नीचे न रहते हों, पर दिलों की दूरी कभी नहीं बढ़ती। तकनीक ने भले रिश्तों की भौतिक दूरी घटाई हो, लेकिन भावनाओं की गहराई अब भी वही है। अब भाई बहन की रक्षा के साथ उसके सपनों की इज़्ज़त करता है, और बहन भी हर मुश्किल में भाई की ताकत बनकर खड़ी रहती है।
भैया दूज का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की नींव विश्वास और सम्मान पर टिकी होती है।👉 रिश्ते समय या दूरी से नहीं, सच्चे स्नेह और अपनापन से जीवित रहते हैं।
