मध्यमेश्वर बाबा की डोली परंपरागत विधि-विधान के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान

खबर शेयर करें -

रुद्रप्रयाग : हिमालय की गोद में स्थित पंचकेदारों में द्वितीय केदार के रूप में विख्यात मध्यमेश्वर धाम के कपाट स्वाति नक्षत्र के शुभ संयोग में वैदिक मंत्रोच्चार, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच शीतकाल के लिए विधिवत बंद कर दिए गए। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए 300 से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा मध्यमेश्वर के दर्शन किए और कपाट बंद होने के इस आध्यात्मिक दृश्य के साक्षी बने।धाम परिसर में सुबह से ही भक्तों का आवागमन शुरू हो गया था। मौसम में हल्की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। मंदिर समिति और पुजारियों ने पारंपरिक विधि-विधान के अनुसार भगवान मध्यमेश्वर की विशेष पूजा संपन्न कर इस वर्ष के दर्शनों का समापन किया। गर्भगृह में अंतिम आरती और पूजा के बाद कपाटों को परंपरा के अनुरूप बंद कर दिया गया।

कपाट बंद होने के बाद भगवान मध्यमेश्वर की जल विग्रह उत्सव डोली को धाम से बाहर लाया गया। डोली के बाहर आते ही पूरा परिसर शिव भक्ति के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने पुष्पवर्षा कर डोली की अगवानी की। डोली यात्रा में तीर्थ पुरोहितों, स्थानीय ग्रामीणों, भक्तों और मंदिर समिति के सदस्यों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह यात्रा मध्य हिमालयी क्षेत्र की उस सदियों पुरानी परंपरा का प्रतीक है जिसमें शीतकाल के दौरान भगवान को ऊँचाई वाले धामों से नीचे स्थित शीतकालीन गदिस्थल पर लाया जाता है।डोली अब अपने शीतकालीन प्रवास ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजित होगी। पूरे शीतकाल के दौरान भगवान मध्यमेश्वर की पूजा-अर्चना, विशेष अनुष्ठान और रीतियाँ यहीं संपन्न की जाएँगी। स्थानीय लोग इस परंपरा को अत्यंत पवित्र मानते हैं और हर वर्ष डोली के स्वागत में विशेष तैयारी करते हैं।

हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ती ठंड, बर्फबारी और कठिन मौसम को देखते हुए हर वर्ष निर्धारित तिथियों में पंचकेदार और चारधाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसी क्रम में 25 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी बंद होंगे, जिसके बाद इस वर्ष की चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से समाप्त हो जाएगी। इससे पूर्व गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर, जबकि यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद किए जा चुके हैं। मंदिर समिति के अनुसार इस वर्ष भी मध्यमेश्वर धाम में श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर दर्शन किए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिला। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग लगातार सक्रिय रहे। समिति के सदस्यों ने बताया कि मौसम परिवर्तन के बावजूद यात्रा बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

स्थानीय निवासियों ने कहा कि मध्यमेश्वर धाम की बढ़ती लोकप्रियता के कारण हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। धाम में बन रही नई सुविधाओं, सुधरते मार्ग और बेहतर प्रबंधन से आगंतुकों को सुविधा मिल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी यात्रा सत्र में भी भक्तों की बड़ी संख्या धाम पहुंचेगी और देवभूमि की इस पवित्र परंपरा को और अधिक ऊर्जा मिलेगी।

Ad