ऋषिकेश में जल संस्थान के खिलाफ पार्षदों का आक्रोश, किया तालाबंदी

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ऋषिकेश : आज दिनांक 8 अगस्त 2025 को नगर निगम के  पार्षदों  ने एकजुट होकर अधिशासी अभियंता जल संस्थान के खिलाफ मोर्चा खोला. इस  मौके पर पार्षदों को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला. तब उनका आक्रोश और अधिक बढ़ गया. जिसके परिणाम स्वरुप पार्षदों ने जल संस्थान में तालाबंदी करके यह संकेत दिया कि भविष्य में उग्र आंदोलन किया जाएगा.

इससे साफ स्पष्ट होता है कि जल संस्थान के अधिकारी कितने असंवेदनशील हैं. एक ज्ञापन के माध्यम से सभी पार्षदों ने अवगत कराया की पेरी अर्बन योजना के अंतर्गत ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में जो पेयजल कनेक्शन दिए जा रहे हैं. उनमें अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण अत्यधिक बिल आ रहा है.  क्षेत्र वासियों का दूध का बिल कम आ रहा है और पानी का बिल ज्यादा आ रहा है.  जिससे साफ प्रतीत होता है कि इसमें कितनी बड़ी गड़बड़ी चल रही है. स्थानीय पार्षद एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार जल संस्थान में इसकी शिकायत दर्ज करवाई गई परंतु जल संस्थान के अधिकारियों की लापरवाही और तानाशाही के कारण इस विषय पर कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुई।जिससे क्षेत्र की जनता में अत्यधिक आक्रोश है. क्योंकि अनावश्यक आर्थिक बोझ किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराए जा सकते है.यदि इस विषय में जल्दी से जल्दी ठोस समाधान निकालकर बिलों की गड़बड़ी को सही नहीं किया गया तो सभी पार्षद मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे. अभी तो सांकेतिक तालाबंदी की है. लेकिन भविष्य में संपूर्ण तालाबंदी के लिए मजबूर होना पड़ेगा. जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी जल संस्थान की होगी।

इस अवसर पर पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट के साथ ,पार्षद विनोद नाथ, पार्षद सुनीता भारद्वाज ,पार्षद सुरेंद्र सिंह नेगी ,पार्षद सत्य कपरवान, पार्षद संजय प्रेमसिंह बिष्ट,पार्षद दिनेश सिंह रावत, पार्षद हर्षवर्धन रावत ,पार्षद चेतन चौहान पार्षद ,प्रभाकर शर्मा ,पार्षद सिमरन उपल, पार्षद वीरेंद्र रमोला ,पार्षद संध्या बिष्ट एकांत गोयल पार्षद अजय दास पार्षद राजेश कोठियाल ,पार्षद सचबीर भंडारी मोहन प्रसाद वशिष्ठ राम अवतार वर्मा, विजेंद्र मोघा , जनप्रतिनिधि वीरेंद्र भारद्वाज,कुशालानंद द्वारिका प्रसाद, पार्षद सचवीर भंडारी , पार्षद अनिल रावत, अमित उप्पल  ,पार्षद पुष्कर बंगवाल  पार्षद अभिनव मलिक , पार्षद नवीन नौटियाल आदि उपस्थित थे जिन्होंने एक स्वर में कहा कि यदि समस्या का त्वरित समाधान न किया गया तो जल संस्थान को भयंकर जनाक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

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