कावड़ यात्रा: पहला कावड़ यात्री कौन ? जानिए..
हम इस लेख में जानेंगे कि दुनिया का पहला कावड़ यात्री कौन था जिसने शिव जी के लिए कावड़ यात्रा शुरू की।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था। उस समय कई रत्न के साथ वहां से विष भी निकला। जो इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद से विश्व के सभी प्राणियों का नाश हो सकता था। लेकिन शिव शंकर जो देवो के देव है भोले नाथ है उन्होंने उस विष को पी कर अपने कंठ में धारण कर लिया। उसके बाद महादेव असहज अवस्था में पहुंच गए। उनकी पीड़ा को कम करने के लिए रावण ने कई वर्षों तक कावड़ में गंगा जी का पवित्र जल भरकर शिवजी का जलाभिषेक किया।
आप तो यह जानते होंगे कि रावण शिव जी का परम भक्त था। उससे शिवजी को विष के दुष्प्रभाव से मुक्त करने के लिए गंगाजी के जल को कावड़ में भरकर शिव जी के अभिषेक के लिए पहुंच गया। और कई वर्षों तक रावण ऐसा करता रहा। जल अभिषेक करने के बाद शिव जी के द्वारा पीए गए विष का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो गया। तब से लेकर आज तक कावड़ यात्रा की परंपरा चली आ रही है।
पौराणिक मान्यता है कि संसार का पहला कांवड़ यात्री रावण को ही माना जाता है और रावण ने ही सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी।