आरोग्य, समृद्धि और शुभता का आरंभिक पर्व धनतेरस

ऋषिकेश : कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस इस वर्ष 26 अक्टूबर, रविवार को देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यही दिन दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है।
धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसी कारण यह दिन धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।इस दिन धन और स्वास्थ्य दोनों की प्राप्ति का आशीर्वाद लिया जाता है।कहा जाता है कि जो व्यक्ति धनतेरस पर शुभ वस्तु खरीदता है, उसके घर में लक्ष्मी का वास होता है और रोग-शोक दूर होते हैं।
खरीदना शुभ है धनतेरस पर?
सोना, चांदी, तांबा, पीतल के बर्तन
झाड़ू, दीपक, घर के उपयोग की धातु सामग्री
धनतेरस पर कुबेर की मूर्ति, धन्वंतरि की तस्वीर और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
आयुर्वेदिक औषधियां या स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुएं खरीदना भी उत्तम माना गया है।
धनतेरस पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 6:18 बजे से 8:15 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 5:50 बजे से 8:20 बजे तक
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 26 अक्टूबर, सुबह 2:25 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 27 अक्टूबर, सुबह 2:12 बजे
घर की साफ-सफाई कर मुख्य द्वार पर रंगोली और दीपक जलाए जाते हैं।सायंकाल के समय लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि भगवान की विधिवत पूजा होती है।दीपदान का विशेष महत्व — तुलसी, आंगन, और जल स्रोत के पास दीपक जलाया जाता है।नए बर्तन में चावल, जल या हल्दी रखकर पूजा की जाती है।
लोककथा से जुड़ा महत्व
धार्मिक कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र की अकाल मृत्यु का योग था। उसकी पत्नी ने धनतेरस की रात घर के बाहर दीपों की पंक्तियाँ सजाईं और स्वर्णाभूषणों से प्रकाश फैलाया। यमराज जब बालक का प्राण लेने आए, तो उस तेज प्रकाश से विचलित होकर लौट गए। तभी से इस दिन को ‘यमदीपदान’ कहा जाने लगा और दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
आज के समय में धनतेरस सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व बन चुका है।इस दिन बाज़ारों में रौनक, सोने-चांदी की बिक्री में उछाल, और ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर भारी डिस्काउंट देखने को मिलता है।रिटेल सेक्टर के लिए यह दिन फेस्टिव सेल की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।
