खांडगांव में जीवंत हुई द्रोपदी मंडाण परंपरा

रायवाला: उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का अनोखा उदाहरण रायवाला के खांड गांव में नवरात्रि के अवसर पर देखने को मिला। यहां वर्षों पुरानी द्रोपदी मंडाण परंपरा आज भी पूरे उत्साह और आस्था के साथ निभाई जा रही है।
खास बात यह है कि यह परंपरा पिछले 27 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है और हर तीन वर्ष में आयोजित की जाती है।
नवरात्रि के दौरान गांव में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। पंचायत भवन में हरियाली बोई जाती है और पंचायती देवी की पूजा-अर्चना होती है। गांव की बेटियों और बहनों को मायके बुलाने की परंपरा भी इस अवसर पर निभाई जाती है, ताकि आने वाली पीढ़ी इस संस्कृति से जुड़ी रहे।
पांचवें दिन सम्पट खुलने के साथ ही मंडाण की शुरुआत हो जाती है पारंपरिक ढोल-दमाऊ और पांडव लीला के गीतों पर गांव का वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
मान्यता है कि इस दौरान द्रोपदी माता गांव की एक महिला पर अवतरित होती हैं और नृत्य करती हैं। उनके साथ अन्य देवी-देवता भी अवतरित होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।नवमी के दिन हवन, अनुष्ठान और भंडारे का आयोजन किया गया।
इस मौके पर पूर्व मंत्री और क्षेत्रीय विधायक डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल पहुंचे और हवन में आहुति देकर माता का आशीर्वाद लिया। वहीं कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला भी कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके अलावा कई गणमान्य लोग, ग्रामीण और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान सविता देवी, सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप नेगी सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी मौजूद रहे।
ग्रामीणों का कहना है कि द्रोपदी मंडाण केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह गांव की एकता, आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। इस परंपरा का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़े रखना है।
