किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी: PBG-10 में अधिक प्रोटीन और बेहतर रोग-रोधक क्षमता
लुधियाना: पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने चने की खेती करने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चने की नई उन्नत किस्म पीबीजी-10 विकसित की है, जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में दुगनी पैदावार, बेहतर रोग-प्रतिरोधक क्षमता और अधिक प्रोटीन की मात्रा का दावा करती है। यह किस्म किसानों की आय बढ़ाने और पोषण स्तर सुधारने के दोहरे उद्देश्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, पीबीजी-10 किस्म को कई वर्षों के अनुसंधान, फील्ड-ट्रायल और जलवायु अनुकूलता परीक्षणों के बाद मंजूरी मिली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म पंजाब सहित उत्तर भारत के विभिन्न मैदानी इलाकों की मिट्टी और जलवायु दोनों के लिए उपयुक्त है।

नई किस्म की सबसे बड़ी विशेषता इसकी उच्च उत्पादकता है। सामान्य किस्मों की तुलना में इसमें खेत से प्राप्त उपज लगभग दो गुना आंकी गई है। इसके साथ ही दानों में प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई गई है, जो इसे पोषण की दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाती है। विश्वविद्यालय का दावा है कि यह किस्म बाजार में बेहतर दाम दिलाने में भी किसानों की मदद करेगी।
पीबीजी-10 किस्म में वे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोध क्षमता विकसित की गई है, जो आमतौर पर चने की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे फसल पर कीटनाशकों का खर्च कम होगा और उत्पादन लागत में भी कमी आएगी।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई किस्म पंजाब में दलहनी फसलों के क्षेत्रफल को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है। अभी तक किसान गेहूं-धान चक्र से बाहर कम ही निकलते हैं, लेकिन पीबीजी-10 जैसी उच्च उत्पादक और कम जोखिम वाली किस्में किसानों को फसल विविधीकरण की ओर प्रेरित कर सकती हैं।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने किसानों को सलाह दी है कि वे आगामी रबी सीजन में इस किस्म का बीज अपनाकर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जल्द ही यह बीज कृषि विज्ञान केंद्रों और मान्यता प्राप्त बीज बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध कराया जाएगा।
