परमार्थ निकेतन में स्वामी चिंतानंद सरस्वती ने छात्रों को दी जीवन की सीख कहा, “शिक्षा सफल बनाती है, विद्या सार्थक करती है”
ऋषिकेश : गंगा तट पर स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम में गुरुवार को डीएसबी इंटरनेशनल स्कूल और विदेशी विद्यार्थियों का दल पहुंचा। दल ने यहाँ की भव्य गंगा आरती में भाग लिया और आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिंतानंद सरस्वती तथा साध्वी भगवती सरस्वती से मुलाकात की। इस दौरान छात्रों ने स्वामीजी से आध्यात्मिक और जीवन मूल्यों से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका उन्होंने सरलता और गहराई से उत्तर दिया।
स्वामी चिंतानंद सरस्वती ने कहा कि शिक्षा केवल जानकारी नहीं देती, बल्कि जीवन को दिशा देती है। उन्होंने कहा, “शिक्षा हमें सफल बनाती है, पर विद्या ही जीवन को सार्थक बनाती है। विद्या व्यक्ति में विनम्रता, संवेदनशीलता और जागरूकता का संचार करती है।”
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे डिजिटल युग में रहते हुए भी मीडिया और इंटरनेट का उपयोग सकारात्मक दिशा में करें। स्वामी ने कहा, “इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना अच्छा है, परंतु उसका गुलाम बन जाना गलत है। तकनीक हमारे जीवन का साधन बने, उद्देश्य नहीं।”
स्वामी चिंतानंद सरस्वती ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में अनुशासन, आत्मसंयम और सादगी अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “आज सफलता को ही सब कुछ मान लिया गया है, परंतु केवल सफल होना पर्याप्त नहीं। सफलता तब सार्थक बनती है जब उसमें प्रसन्नता और ईश्वर में समर्पण जुड़ा हो।”
उन्होंने कहा कि सफलता, प्रसन्नता और प्रपन्नता (ईश्वर में समर्पण) जीवन की त्रिवेणी हैं। “सफलता हमें प्रभाव देती है, प्रसन्नता ऊर्जा देती है और प्रपन्नता शांति देती है। जब ये तीनों मिलते हैं, तभी जीवन में संतुलन और आनंद संभव है,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने गंगा आरती में भाग लिया और आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया। परमार्थ निकेतन का यह कार्यक्रम शिक्षा, संस्कृति और अध्यात्म के संगम का जीवंत उदाहरण बन गया।
