22 KM की दुर्गम गश्त: वनकर्मियों ने मानसून में बाघ-चीतल के निशान खोजे

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  • गौहरी रेंज के वन कर्मियों की गश्त हुई २२ किलोमीटर 
  • ऋषिकेश सीमा से लगा हुआ है रेंज, वन्य जीवों की सुरक्षा मुख्य उद्देश्य 
  • रेंजर राजेश जोशी के निर्दश पर डिप्टी रेंजर रमेश कोटियाल ने नेतृत्व में हुई मानसून  गश्त 

ऋषिकेश : गौहरी रेंज के वन कर्मियों की टीम ने जंगल में  २२ किलोमीटर लम्बी गश्त की. शनिवार को गश्त  करते हुए विन्ध्वासिनी बीट,कुनाऊ बीट , धमांद बीट ने लम्बी दूरी की गस्त की गश्त की. शनिवार को सुबह  गौहरी रेंज से गश्त शुरू हुई ९:३० बजे. और गश्त समाप्त हुई शाम ४ बजे. रेंजर राजेश जोशी के निर्देश पर,  डिप्टी रेंजर रमेश कोटियाल  के नेतृत्व में यह गश्त हुई. इसमें जो सदस्य उनमें रमेश दत्त कोटियाल उपराजिक,  पृथ्वी सिंह नेगी बन दरोग़ा, अर्जुन सिंह नेगी वन बीट अधिकारी,गौरव गिरी वन बीट अधिकारी, दीपक टम्टा वन बीट अधिकारी, निकिता गौतम वन बीट अधिकारी, बसंत कुमार वन बीट अधिकारी, मोहित कुमार वन बीट अधिकारी,  जवाहर सिंह पायल वीट सहायक, सुजीत सिंह वीट सहायक और संदीप रावत बीट सहायक  मौजूद रहे.

डिप्टी रेंजर रमेश कोटियाल के मुताबिक़,  कुनाऊ गोठ,  आवादी मिलान,  गंगा किनारे कुनाऊ, चौड, मीना बाजार, बीन   नदी, एंटी पोचिंग चौकी, बीट कक्ष संख्या  14 एवं धमांद बीट कoसo12 के वन क्षेत्र में लम्बी दूरी गश्त की गयी. गश्त के दौरान चीतल एवं टाईगर पगमार्क देखे गए. इस दौरान गुर्जरों के डेरों को भी चेक किया गया. हिदायत भी दी कोई भी संदिग्ध ब्यक्ति अगर दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी वन चौकी या कर्मी को दें.  मानसून सीजन गश्त का उद्देश्य रहता है, कोई गलत ब्यक्ति जंगल में न घुसने पाए, शिकार न करने पाए. रस्ते टूट जाते हैं उनको निरिक्षण कर वन्य जीव की सुरक्षा बनी रहे इत्यादि.  जो नया स्टाफ आया हुआ है, उसके लिए काफी सीखने को मिलता है. बरिष्ठ स्टाफ से. जंगल में कहीं नाले लबालब हैं तो कहीं पर रास्ते गायब हैं. ऐसे में वन्य जीवों के खतरों का सामना करना पड़ता है. जो चुनौती भी है और सबक भी.

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