डोईवाला के डाडी गांव में दिव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

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डोईवाला : डोईवाला क्षेत्र के ग्राम पंचायत बड़कोट के अंतर्गत आने वाले ग्राम डाडी में श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत वातावरण के बीच भगवती संसद द्वारा आयोजित दिव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर व्यासपीठ पर विराजमान नर्सिंग पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों से श्रद्धालुओं को अध्यात्म, सत्य और धर्म के गूढ़ संदेशों से अवगत कराया।

स्वामी रसिक महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि “श्रीमद्भागवत का फल स्वयं भगवान हैं।” उन्होंने बताया कि मानव जीवन कोई साधारण उपलब्धि नहीं, बल्कि यह ईश्वरीय अनुग्रह है, जो धर्म की सिद्धि, आत्मा के जागरण और सत्य की प्राप्ति के लिए हमें मिला है। उन्होंने कहा कि चिरस्थाई सुख क्षणिक भोगों में नहीं, बल्कि सत्य, विवेक, त्याग, सेवा, सत्संग और शुभ संकल्पों में निहित होता है। सत्य केवल एक शब्द नहीं बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति है। स्वामी जी ने कहा कि “सत्य बोलना केवल नैतिकता का पालन नहीं, बल्कि जीवन जीने की आध्यात्मिक विधि है।”

रसिक महाराज ने बताया कि सत्य में वह शक्ति निहित है जो मन को शांत करती है, विचारों में दृढ़ता लाती है और आत्मा को ईश्वर के समीप ले जाती है। जब मनुष्य सत्य का आचरण करता है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म तीनों में एकरूपता आती है, जो स्थायी शांति और आत्मिक आनंद का मार्ग बनती है।

उन्होंने यह भी कहा कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति कभी भी सफलता और सम्मान का अनुभव नहीं कर सकता, जबकि सत्यप्रिय व्यक्ति जीवन में सदैव अनुकूलता और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करता है। स्वामी जी ने बताया कि मन को साधना कठिन अवश्य है, परंतु असंभव नहीं। उन्होंने कहा कि “मां ही हमारे जीवन की सभी अवस्थाओं का कारण है वही पतन और उन्नति दोनों की जननी है।”कथा के प्रथम दिन आयोजन स्थल पर भक्ति और आध्यात्मिकता का सुंदर संगम देखने को मिला। पूरे क्षेत्र में श्रद्धा, भजन-कीर्तन और हर्षोल्लास का वातावरण बना रहा।

इस अवसर पर कथा आयोजन समिति के प्रवक्ता प्रभात पवार, साध्वी मां देवेश्वरी, शकुंतला मानवास, सुमति सिलवाल, आचार्य दामोदर नौटियाल, महावीर पेंट सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम के अंत में भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया।

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