उत्तराखंड में डरा रहे डेंगू के बढ़ते मामले, अलर्ट पर प्रशासन; इन जिलों में सबसे ज्यादा मरीज

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मौसम में बदलाव से सुबह-शाम हल्की ठंडक होने लगी है, लेकिन डेंगू की बीमारी फैलाने वाले एडीज मच्छर की सक्रियता कम नहीं हो रही है। दिन-प्रतिदिन डेंगू मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। मैदान हो या फिर पहाड़, सभी जगह लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। देहरादून के बाद पौड़ी जिला डेंगू का हॉटस्पॉट बन रहा है।

मंगलवार को प्रदेश के सात जिलों में 74 और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें सबसे अधिक 32 मामले पौड़ी जिले में मिले हैं। देहरादून व हरिद्वार में 13-13, नैनीताल में 10, चंपावत में तीन, ऊधमसिंह नगर में दो और चमोली में एक व्यक्ति डेंगू की चपेट में आया है। हालांकि, डेंगू से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। प्रदेश में अभी तक 2402 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 2079 मरीज स्वस्थ हो गए हैं, जबकि वर्तमान में 308 सक्रिय मामले हैं।

अब तक 15 की हुई मौत

डेंगू से अभी तक 15 मरीजों की मौत हो चुकी है। 13 मरीजों की मौत देहरादून में और दो की मौत नैनीताल जिले में हुई है। बात अगर जनपदवार मिले डेंगू के मामलों की करें तो देहरादून सबसे आगे है। यहां पर अभी तक 915 लोगों को डेंगू का डंक लग चुका है। इसके अलावा पौड़ी में 489, हरिद्वार में 408, नैनीताल में 377, ऊधम सिंह नगर में 71, चमोली में 50, चंपावत में 42, टिहरी में 17 और रुद्रप्रयाग में 14 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।

अलर्ट पर अधिकारी

उधर, जिम्मेदार महकमों के अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि डेंगू पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। विभिन्न माध्यमों से लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है। दून में कूड़ा निस्तारण नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है। घर-घर कूड़ा उठान के साथ ही सार्वजनिक कूड़ेदानों से रोजाना सैकड़ों टन कूड़ा उत्सर्जित हो रहा है। जिसे डंप करने और निस्तारित करने में निगम के पसीने छूट रहे हैं।

वहीं, कुछ लोग खाली प्लाट और घरों के आसपास भी कूड़ा डंप कर रहे हैं। इसलिए नगर निगम ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर रहा है। इसके अलावा डेंगू के प्रकोप के बीच लापरवाह प्रतिष्ठानों व घरों के विरुद्ध भी चालान की कार्रवाई की जा रही है।