भारतीय शिपयार्ड उभरती नीली अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ: राजनाथ सिंह
नई दिल्ली: भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी को नई दिशा देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत विश्व का अगला बड़ा शिपबिल्डिंग हब बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने वैश्विक रक्षा कंपनियों को भारत के तेजी से उभरते जहाज़ निर्माण उद्योग में निवेश करने, तकनीकी साझेदारी बढ़ाने और भविष्य की समुद्री क्षमताओं के विकास में सहयोग देने की अपील की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय शिपयार्ड आज न केवल नौसेना और तटरक्षक बल की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक, समयबद्ध निर्माण और लागत प्रभावी उत्पादन क्षमता के कारण विश्व स्तर पर भी अपना स्थान बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत की नीली अर्थव्यवस्था में शिपबिल्डिंग उद्योग महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभर रहा है और आने वाले वर्षों में इसकी भूमिका और मजबूत होने वाली है।

रक्षा मंत्री के अनुसार, भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीतियों ने देश में रक्षा उत्पादन और समुद्री प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊर्जा भरी है। निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड मिलकर ऐसे प्लेटफॉर्म बना रहे हैं जो न केवल रक्षा क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धी साबित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियों के लिए भारतीय शिपबिल्डिंग उद्योग में निवेश एक दीर्घकालिक अवसर है, क्योंकि भारत प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, भौगोलिक स्थिति और नीति समर्थन के मामले में दुनिया के सबसे अनुकूल देशों में शामिल हो चुका है। राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में भारत न केवल अपनी नौसेना की शक्ति को और मजबूत करेगा, बल्कि विश्व स्तर पर उन्नत जहाज़ निर्माण के शीर्ष केंद्रों में भी शामिल होगा।

रक्षा मंत्री के इस संदेश ने समुद्री सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक औद्योगिक साझेदारी के नए द्वार खोलते हुए भारत की बढ़ती सामरिक क्षमता का एक बार फिर स्पष्ट संकेत दिया है।
