ज्वालपा देवी मंदिर सौंदर्यीकरण: रुकावट दूर, निर्माण कार्य में तेजी


पौड़ी : मां ज्वालपा के भक्तों के लिए यह समाचार प्रसन्नता का विषय है कि ज्वालपा धाम, पौड़ी गढ़वाल स्थित श्री ज्वालपा देवी सिद्धपीठ मंदिर के स्वरूप का संवर्धन और सौंदर्यीकरण का काम जल्दी ही शुरू किया जाएगा। गतवर्ष 10 मई को ज्वालपा देवी के मंदिर को दिव्य और भव्य रूप देने के लिए भूमि पूजन किया गया था लेकिन ज्वालपा धाम में रहने वाले रमेश चंद्र/सुरेश चंद्र आदि ज्वालपा देवी के मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण कार्य को रोकने के लिए सिविल न्यायालय पौड़ी चले गए थे। इसके फलस्वरूप न्यायालय ने सौंदर्यीकरण कार्य पर अस्थाई रोक लगा दी थी। पार्थ सारथि थपलियाल, जनसंपर्क अधिकारी, श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति, ज्वालपा धाम ने जानकारी देते हुए बताया, 9 अप्रैल 2025 को न्यायालय सिविल जज (सी डी) पौड़ी गढ़वाल ने वाद संख्या 27/2024, (रमेश चंद्र/सुरेश चंद्र आदि बनाम सतीश चंद्र) प्रकरण का निपटारा करते हुए अपने आदेश में लिखा कि “प्रार्थी/वादीगण का प्रार्थना पत्र कागज संख्या 6ग, अंतर्गत आदेश 39 नियम 1 व 2 सिविल प्रक्रिया संहिता वास्ते अस्थाई निषेधाज्ञा तदनुसार निरस्त किया जाता है।” पूजा समिति की ओर से प्रतिवादी अधिवक्ता के. पी. नैनवाल ने अकाट्य तथ्य और तर्क प्रस्तुत कर प्रकरण को निरस्त करने के आदेश तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई। वादी पक्ष के अधिवक्ता थे महेश बलूनी।
ज्वालपा धाम में सन् 1969 से श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति की स्थापना मंदिर की व्यवस्थाओं और यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के साथ साथ संस्कृति एवं संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिए किया गया। सन् 2000 में पुजारी वर्ग ने श्री ज्वालपा देवी सिद्धपीठ पूजा समिति का गठन किया। न्यायालय के निर्णय (14/1999) के अनुसारपूजा समिति का कार्य मंदिर में पूजा कार्यों तक सीमित है। सौंदर्यीकरण, विकास कार्य एवं अन्य काम यथा यात्री सुविधाओं को को बढ़ाना, संस्कृत शिक्षा प्रबंधन आदि श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति के कार्यक्षेत्र में हैं।वर्ष 2016 में दोनों समितियों ने श्री ज्वालपा देवी मंदिर के बाह्य स्वरूप को दिव्यता और भव्यता देने और मंदिर परिसर में अन्य देवताओं के मंदिरों को सनातन परंपरा के अनुसार व्यवस्थित करने का एक संकल्प किया। इस बीच कुछ व्यवधान भी आए। 2021 में दोनों समितियों में सहमति बनी और कार्य योजना तैयार की गई। कई बैठकों के बाद वास्तुकार से 60 फीट ऊंचे देवी मंदिर का प्रारूप तैयार करवाया गया। वर्तमान मंदिर के मूल स्वरूप में परिवर्तन किए बिना दुर्गा माता के 9 रूपों से युक्त नौ स्तंभों पर दिव्य और भव्य मंदिर की संकल्पना का रास्ता मां ज्वालपा की कृपा से खुला है। 10 मई 2024 को इस मंदिर के भूमि पूजन समारोह के मुख्य अतिथि तत्कालीन गढ़वाल सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के भाषण का यह अंश मां ज्वालपा के भक्तों को बहुत अच्छा लगा था कि जब मनुष्य अपने पुराने मकान को आधुनिक बनाता है तो भगवान के मंदिर को भी समयानुसार रूप स्वरूप दिया जाना चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने अयोध्या में नवनिर्मित श्रीराम मंदिर का उदाहरण दिया था। सिविल न्यायालय पौड़ी के आदेश पर श्री सिद्धपीठ पूजा समिति के अध्यक्ष और प्रतिवादी सतीश चंद्र अणथ्वाल ने संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अनावश्यक ही इस काम में एक साल की देरी हो गई। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल (से. नि.) ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा हमें इस समाचार को सुनकर खुशी हुई है कि अब शीघ्र ही मंदिर के सौंदर्यीकरण के कार्य को मूर्तरूप दिया जा सकेगा।
पार्थ सारथि थपलियाल, जनसंपर्क अधिकारी, श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति, ज्वालपा धाम, गढ़वाल, उत्तराखंड
